डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेट फ्रेडरिकसन ने हाल ही में अपने बयान में घोषणा की कि डेनमार्क की सेना में महिलाओं की भर्ती की जाएगी। इस ऐलान के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। यूरोप में बढ़ रही सुरक्षा चिंताओं के संदर्भ में डेनमार्क ने इस निर्णय को लिया है। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्थितियों में बदलाव के कारण, सुरक्षा द्वारा उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए डेनमार्क अपनी सेना को मजबूत करने की योजना बना रहा है।
प्रधानमंत्री मेट फ्रेडरिकसन ने इस मामले में अपने बयान में कहा कि नई रणनीति का उद्देश्य सेना में युवाओं को आकर्षित करना है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे सेना की सामरिक शक्ति और प्रभाव में वृद्धि होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि डेनमार्क को अंतरराष्ट्रीय समुदायों के चंगुल में फंसाने की बजाय समय रहते सम्मेलन की शक्ति बनने की जरूरत है।
डेनमार्क की सेना में वर्तमान में कुल 9000 पेशेवर सैनिक हैं और लगभग 4700 जवान शुरूआती प्रशिक्षण में हैं। इस नई नीति के तहत, सेना के सेवाकाल को 4 महीने से बढ़ाकर 11 महीने किया जाएगा। यह सेना की तैयारी में महत्वपूर्ण परिवर्तन होगा जो उसे अधिक समर्थ और प्रभावी बनाएगा।
डेनमार्क का इरादा है कि अगले पांच वर्षों में रक्षा खर्च को 40.5 अरब डेनिश क्राउन तक बढ़ाया जाएगा, जो करीब 5.9 अरब डॉलर के बराबर है। यह रक्षा खर्च का वृद्धि करने का उद्देश्य है सेना की सामरिक शक्ति को मजबूत करना और देश को आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना।
डेनमार्क के इस निर्णय के पीछे कई कारण हैं। पिछले कुछ सालों में यूरोप में बढ़ रहे सुरक्षा चिंताओं के संदर्भ में यह निर्णय बड़ा महत्वपूर्ण है। विभिन्न भागों में हो रही राष्ट्रव्यापी घातक घटनाओं ने यूरोपीय देशों को सुरक्षित रहने के लिए अधिक तैयार और सजग बनाने की आवश्यकता को और भी महसूस कराया है। इस प्रकार, डेनमार्क के इस निर्णय से उसकी सेना में महिलाओं की भर्ती एक विशेष और महत्वपूर्ण पहल है जो सुरक्षा में समानता और सुरक्षा के क्षेत्र में उन्नति को बढ़ावा देगी।
अभी हाल ही में, रूस ने फिनलैंड की सीमा पर अपनी सेना को भेजने का निर्णय लिया है, जो कि यूरोप में बढ़ रही तनावपूर्ण स्थिति के संदर्भ में एक चिंताजनक घटना है। इस तरह की घटनाएं यह दिखाती हैं कि विभिन्न देशों के बीच सुरक्षा के क्षेत्र में एक साझा चिंता का संदेश है और इसे समाधान के लिए साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।
डेनमार्क के इस निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि यह एक प्रगतिशील कदम है जो सेना में लिंग के आधार पर नियुक्तियों में समानता को प्रोत्साहित करेगा। इससे महिलाओं को सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में उनकी भूमिका में वृद्धि होगी और साथ ही सेना की सामरिक शक्ति भी मजबूत होगी। यह एक प्रेरणादायक कदम है जो सुरक्षा द्वारा सामाजिक और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा।