एक समय ऐसा था जब हमारे देश में बेटी के जन्म होने पर शोक मनाया जाता था। बेटी को जन्म होते ही या तो मार दिया जाता है और या फिर उसे कचरे के ढेर में फेंक दिया जाता था। लेकिन धीरे-धीरे समय बदला और लोगों को बेटी की अहमियत समझ आने लगी। कई लोगों ने बेटी बचाने की मुहीम चलाई। आज हम आपको एक ऐसे ही अनोखे गाँव के बारे में बता रहे हैं।
आर्थिक रूप से भी मजबूत हो रहे लोग
हम बात कर रहे हैं बिहार के भागलपुर जिले के नवगछिया के एक छोटे-से गांव धरहरा के बारे में। यहां के लोग बेटी का जन्म होने पर जश्न मनाते हैं। इतना ही नहीं, बल्कि बेटी का जन्म होने पर धरहरा गाँव में 10 फलदार पौधे लगाने की परंपरा है। ये परंपरा बरसो से निभाई जा रही है। एक समय ऐसा था जब ये गाँव खाली पड़ा रहता था और यहां दूर-दूर तक एक भी पेड़ नहीं था। लेकिन अब ये पूरा गाँव बड़े-बड़े फलदार पेड़ से हरा-भरा हो चुका है। इससे ना सिर्फ पर्यावरण सुरक्षित हो रहा है बल्कि पेड़ लोगों के आमदनी का जरिया भी बन गया है, जिससे लोग आर्थिक रूप से मजबूत भी होते जा रहे हैं।
इतनी है गाँव की आबादी
बेटी के जन्म होने पर जो पौधे परिवार द्वारा लगाए जाते हैं, वह उनकी शादी तक बड़े हो जाते हैं। जिसके जरिए उन्हें आर्थिक मदद हो जाती है और फिर वह पैसा बेटी की शादी में भी काम आ जाता है। गांव में लोग 3 से 4 एकड़ तक जमीन पर लगे बगीचों के मालिक हैं। धरहरा गांव की आबादी करीब 5 हजार लोगों की है।
तीन बार आ चुके हैं CM नीतीश कुमार
इस गांव की इस परंपरा पर डॉक्यूमेंट्री बन चुकी है। इस गाँव में पहला पौधा लवी कुमारी के नाम से साल 2010 में लगा था। खुद राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार धरहरा गांव पौधा लगाने पहुंचे थे। अब तक नीतीश कुमार तीन बार इस गाँव में पौधे लगाने आ चुके हैं। उन्होंने दूसरी बार 2011 में रीमा राज व तीसरी बार वर्षा रानी के नाम से फलदार वृक्ष लगाए गए थे। धरहरा गांव द्वारा किया गया यह कार्य काबिल-ए-तारीफ है।