भारत में तीन नए आपराधिक कानून सोमवार से लागू हो गए हैं, जो देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव लाएंगे। इन कानूनों का उद्देश्य औपनिवेशिक काल के पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को समाप्त कर एक आधुनिक और प्रभावी न्याय प्रणाली स्थापित करना है। नए कानूनों में ‘जीरो एफआईआर’, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करना, एसएमएस के माध्यम से समन भेजना और जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल हैं।
औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत
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नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के रूप में स्थापित किए गए हैं, जो क्रमशः भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे। इन कानूनों का उद्देश्य भारत की न्याय प्रणाली को अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और आधुनिक बनाना है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये नए कानून न्याय को प्राथमिकता देंगे, जबकि ब्रिटिश शासन के समय के कानूनों में दंडनीय कार्रवाई को प्राथमिकता दी गई थी।
नए प्रावधान और उनकी विशेषताएँ
नए कानूनों में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं जो न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी और त्वरित बनाएंगे। इन प्रावधानों में शामिल हैं:
1. जीरो एफआईआर: किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने की सुविधा, भले ही अपराध उस थाने के अधिकार क्षेत्र में न हुआ हो।
2. ऑनलाइन शिकायत: पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा, जिससे मामला दर्ज करना आसान और तेज हो जाएगा।
3. एसएमएस द्वारा समन: मोबाइल फोन पर एसएमएस के माध्यम से समन भेजने की सुविधा।
4. जघन्य अपराधों की वीडियोग्राफी: सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी।
सामाजिक वास्तविकताओं और आदर्शों का समावेश
नए कानूनों में मौजूदा सामाजिक वास्तविकताओं और अपराधों से निपटने का प्रयास किया गया है। संविधान में निहित आदर्शों को ध्यान में रखते हुए, ये कानून प्रभावी रूप से न्याय सुनिश्चित करने के लिए तंत्र प्रदान करते हैं। इन कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिनों के भीतर आना चाहिए और पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाने चाहिए।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों का नया अध्याय
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नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर विशेष ध्यान दिया गया है। दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान महिला पुलिस अधिकारी के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज किया जाएगा और मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर देनी होगी। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है, जिससे मामले दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी।
राजद्रोह की जगह देशद्रोह
नए कानूनों में राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है और सभी तलाशी तथा जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी अनिवार्य कर दी गई है। किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है। इसके अलावा, नए कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है।
मॉब लिंचिंग के लिए प्रावधान
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मॉब लिंचिंग के मामलों से निपटने के लिए भी नए कानूनों में विशेष प्रावधान किए गए हैं। यह सुनिश्चित करेगा कि इस प्रकार के अपराधों पर सख्त कार्रवाई की जाए और दोषियों को कड़ी सजा मिले।
पीड़ितों के लिए विशेष प्रावधान
नए कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा। महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध पीड़ितों को सभी अस्पतालों में निशुल्क प्राथमिक उपचार या इलाज मुहैया कराया जाएगा। इसके अलावा, आरोपी और पीड़ित दोनों को प्राथमिकी, पुलिस रिपोर्ट, आरोपपत्र, बयान, स्वीकारोक्ति और अन्य दस्तावेज 14 दिनों के भीतर पाने का अधिकार होगा।
बुजुर्गों के लिए घर बैठे पुलिस सुविधा
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नए कानूनों में सभी राज्य सरकारों के लिए गवाह सुरक्षा योजना लागू करना अनिवार्य है। इससे गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित होगा और कानूनी प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता और प्रभाव बढ़ेगा। इसके अलावा, महिलाओं, पंद्रह वर्ष की आयु से कम उम्र के लोगों, 60 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों और दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को पुलिस थाने आने से छूट दी जाएगी और वे अपने निवास स्थान पर ही पुलिस सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
नए आपराधिक कानूनों का उद्देश्य भारत की न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और न्यायसंगत बनाना है। इन कानूनों से न केवल औपनिवेशिक काल के पुराने कानूनों का अंत होगा बल्कि आधुनिक न्याय प्रणाली की स्थापना भी होगी। नए प्रावधानों से न्याय की प्रक्रिया में तेजी आएगी और पीड़ितों और गवाहों को अधिक सुरक्षा और सहयोग मिलेगा। यह कदम भारत की न्याय प्रणाली को एक नए और सकारात्मक दिशा में ले जाएगा, जिससे न्याय और कानून व्यवस्था को मजबूती मिलेगी।