तमिलनाडु की आदिवासी छात्रा रोहिणी ने देश के सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक, IIT-JEE, में 74% अंक प्राप्त कर सफलता की एक नई मिसाल कायम की है। उन्होंने अपने कठिन परिस्थितियों और दिहाड़ी मजदूरी के बावजूद यह सफलता हासिल की है, जिससे यह साफ होता है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है।
आर्थिक हालात और संघर्ष
रोहिणी का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। उनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। रोहिणी ने भी परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए दिहाड़ी मजदूरी की। उनके गांव में कई मूलभूत सुविधाओं की कमी है, जिससे पढ़ाई में और भी कठिनाई होती है। इसके बावजूद, रोहिणी ने अपने लक्ष्य को पाने की ठानी और विपरीत परिस्थितियों में भी पढ़ाई जारी रखी।
एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी
रोहिणी ने न केवल IIT-JEE, बल्कि NEET और CLAT जैसी कठिन परीक्षाओं की भी तैयारी की। उनके संघर्ष और मेहनत का फल उन्हें मिला जब उन्होंने IIT-JEE में 74.8% अंक प्राप्त किए। यह अंक न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे तमिलनाडु के लिए गर्व का विषय है। रोहिणी तमिलनाडु की पहली आदिवासी छात्रा हैं जिन्हें NIT त्रिची में एडमिशन मिला है। उन्हें बीटेक की केमिकल इंजीनियरिंग ब्रांच में एडमिशन मिला है।
राज्य सरकार की मदद
रोहिणी की इस सफलता के बाद तमिलनाडु सरकार ने उनकी पढ़ाई की फीस भरने की घोषणा की है। रोहिणी ने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मदद के बिना यह संभव नहीं होता। उन्होंने अपने हेडमास्टर और स्कूल के स्टाफ का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने उनकी पढ़ाई में सहायता की।
समाज में प्रेरणा
रोहिणी की सफलता ने समाज में एक नई प्रेरणा जगाई है। उनकी कहानी यह साबित करती है कि कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। सोशल मीडिया पर भी रोहिणी की तारीफ की जा रही है। लोग उन्हें तमिलनाडु का गर्व बता रहे हैं और उनके प्रयासों को सराहा जा रहा है।
शिक्षा की महत्ता
रोहिणी की कहानी यह भी दिखाती है कि शिक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। शिक्षा के माध्यम से किसी भी व्यक्ति का जीवन बदल सकता है। रोहिणी ने अपने कठिन हालातों के बावजूद शिक्षा को अपना हथियार बनाया और सफलता पाई। यह कहानी उन सभी छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो कठिन परिस्थितियों में हैं।
रोहिणी की कहानी हमें यह सिखाती है कि यदि हम सच्चे मन से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं, तो कोई भी कठिनाई हमें रोक नहीं सकती। उनके संघर्ष, मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है। रोहिणी की यह सफलता न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक है। हमें उनकी कहानी से सीख लेनी चाहिए और अपने जीवन में भी उसी प्रकार से मेहनत और संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए।