उत्तरकाशी टनल में हुए कोलैप्स के बारे में जानकारी सामने आई है कि यह पहला मौका नहीं है, बल्कि पिछले 5 सालों में इसमें 19-20 बार कोलैप्स हो चुका है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ये कोलैप्स माइनर से मीडियम लेवल तक हो रहे हैं, और इससे सम्बंधित कई घटनाएं दर्ज की गई हैं।
NHIDCL के डायरेक्टर (एडमिन और फाइनेंस) अंशू मनीष खाल्को ने बताया कि इस टनल के निर्माण के दौरान 19-20 बार कोलैप्स हो चुका हैं और ये कोलैप्स नॉर्मल हैं। टनल बनते समय ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि फंसे गए मजदूर अनलकी थे और इस घटना की पूरी जानकारी को लेकर बहुत व्यापक जांच होगी।
टनल के भिन्न स्तरों में हो रहे कोलैप्स का उल्लेख करते हुए, खाल्को ने बताया कि सिलक्यारा और बड़कोट दोनों तरफ टनल में कोलैप्स की घटनाएं हो रही हैं और इसके लिए सतर्कता बनाए रखी जा रही थी। इसमें रेड जोन की पहचान की गई थी, जहां सतर्कता और सुरक्षा की भरपूर कड़ी जारी रखी जा रही थी।
17 दिन की कड़ी मेहनत के बाद सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया, जिसका स्वागत उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने किया। इस मुद्दे पर राष्ट्रभर में खुशी का माहौल है, लेकिन सुरक्षा के उपायों पर सवाल उठ रहे हैं और इससे संबंधित जांच और कदम उठाए जा रहे हैं।
इस घटना के पश्चात, सीएम धामी ने बताया कि मजदूरों को 1-1 लाख रुपये की मदद की जाएगी और उन्हें वेतन के साथ 10 से 15 दिनों की छुट्टी भी मिलेगी। इस दरमियान, घटना के अनुसार सम्बंधित अधिकारी और अधिकारियों के खिलाफ कड़ी जांच भी की जा रही है।