लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों की घोषणा से पहले, विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग से मुलाकात कर यह मांग की है कि ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से पहले पोस्टल बैलट की गिनती की जाए और उनके परिणाम घोषित किए जाएं। इस मांग ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और कई सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने संवाददाताओं को बताया कि यह तीसरी बार है जब विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने आम चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग से मुलाकात की है।
पोस्टल बैलट की गिनती की मांग क्यों?
कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि पोस्टल बैलट की गिनती और उनके परिणाम पहले घोषित करना एक स्पष्ट सांविधिक नियम है। उनका दावा है कि इस दिशानिर्देश को दरकिनार कर दिया गया है और इस परंपरा को तोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि पोस्टल बैलट की संख्या में वृद्धि हुई है क्योंकि वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों को इस प्रक्रिया के जरिये मतदान करने की अनुमति दी गई थी। निर्वाचन आयोग को सौंपे गए एक पत्र में नेताओं ने 1961 के निर्वाचनों का संचालन नियम और 2023 की रिटर्निंग अधिकारियों एवं मतगणना एजेंटों के लिए पुस्तिका का हवाला दिया, जिनमें कहा गया है कि पोस्टल बैलट की गिनती पहले की जाएगी।
विपक्ष की मुख्य मांगें
विपक्षी दलों ने निर्वाचन आयोग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि ईवीएम की गिनती से पहले पोस्टल बैलट की गिनती की जाए। इसके अलावा, उन्होंने वोटिंग प्रक्रिया पर स्पष्ट गाइडलाइंस जारी करने और उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा है कि पोस्टल बैलट की गिनती के लिए अतिरिक्त कक्ष का अनुमोदन किया जाए ताकि होम वोटिंग और वोटर फैसिलिटेशन सेंटर पर प्राप्त पोस्टल बैलट मतों की गिनती समय से शुरू हो सके।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों की मांगों पर तत्काल प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने कहा कि वे मतगणना प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि उम्मीदवारों के मतगणना एजेंटों को सहायक रिटर्निंग अधिकारी (एआरओ) की मेज पर जाने की अनुमति नहीं देने का आरोप निराधार है।
विपक्षी दलों का प्रतिनिधिमंडल
इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) महासचिव सीताराम येचुरी, आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के टीआर बालू, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव और नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) प्रमुख फारूक अब्दुल्ला शामिल थे। इन नेताओं ने अपने पत्र में निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि उसके खुद के दिशानिर्देशों का पालन किया जाए, जिनमें ईवीएम की ‘कंट्रोल यूनिट’ को सीसीटीवी निगरानी वाले कॉरिडोर से लेकर जाने और ‘कंट्रोल यूनिट’ की मौजूदा तारीख एवं समय ‘डिस्प्ले’ का सत्यापन सुनिश्चित करना शामिल हैं।
विपक्षी दलों की यह मांग इस बात को रेखांकित करती है कि चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर उनमें गहरा विश्वास होना आवश्यक है। पोस्टल बैलट की गिनती पहले करने की मांग का उद्देश्य इस प्रक्रिया की विश्वसनीयता को बढ़ाना है। हालांकि, निर्वाचन आयोग ने अपनी तरफ से पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने की बात कही है।
आगामी 4 जून को लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे घोषित किए जाएंगे। उस दिन यह स्पष्ट हो जाएगा कि विपक्षी दलों की यह मांग कितनी प्रभावी रही और क्या इसका चुनाव परिणामों पर कोई प्रभाव पड़ा। तब तक, सभी राजनीतिक दल और जनता इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि निर्वाचन आयोग की ओर से उठाए गए कदम और विपक्षी दलों की मांगें किस प्रकार से चुनाव परिणामों को प्रभावित करती हैं।