मुठभेड़ में घायल हुए फर्जी IPS अधिकारी की गिरफ्तारी का समापन हुआ है, जिसने अपने शातिराना कारनामों के बावजूद खुद को एक सरकारी अधिकारी बताते हुए अन्य अधिकारियों को फटकारें और फोन करके वसूली का कारोबार किया था। इस अद्भूत कहानी को विस्तार से समझने के लिए, यहां एक लंबा धारात्मक विवरण है:
मथुरा, उत्तर प्रदेश: एक शातिर अपराधी ने दो राज्यों में 13 मामलों के खिलाफ आपत्तिजनक क्रियाओं के चलते सुर्खियों में रहा है। इस अपराधी ने खुद को फर्जी IPS अधिकारी बताया और पुलिस अधिकारियों को फोन करके धमकाने भी दिए थे। उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसे मुठभेड़ में धर लिया है और उसे गिरफ्तार कर लिया है।

फर्जी आईपीएस का खेल:- आरोपी ने अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए खुद को फर्जी आईपीएस अधिकारी बताया और इस दौरान पुलिस अधिकारियों को फोन करके फटकारें और धमकाएं दीं। इसके बावजूद, उसकी हेकड़ी खुली और उसे मथुरा पुलिस ने गिरफ्तार किया।
अवैध वसूली का नाटक:- आरोपी ने दर्ज मुकदमों के नाम पता करके उनसे अवैध वसूली करता था। पुलिस अधिकारियों को फोन करके वे धमकियां देता था और FIR में से उनके नाम हटाने के लिए पैसे मांगता था।

मथुरा पुलिस की कामयाबी:- मथुरा पुलिस ने उसकी शातिरी का पर्दाफाश किया और उसे गिरफ्तार कर लिया है। मुठभेड़ में आरोपी घायल हो गया है और उसका इलाज अस्पताल में चल रहा है।
गिरफ्तारी का क्रम:- शातिर अपराधी की गिरफ्तारी मगोर्रा, उत्तर प्रदेश में एक मुठभेड़ के दौरान हुई। इसमें पुलिस ने उसे धर दबोचा और उसके खिलाफ आपातकालीन कदम उठाया गया।
आईपीएस का हिस्ट्रीशीटर:- राधेश्याम का असली नाम सुभाष कुंतल है, जो अजान थाना उद्योगनगर भरतपुर के निवासी हैं। उनके खिलाफ मथुरा और राजस्थान में 13 मामले दर्ज हैं।
पुलिस अधिकारियों की फटकारें :-राधेश्याम ने थानादारों को फोन कर उनसे बड़े मुकदमों की जानकारी लेता था और फिर उन मुकदमों से आरोपियों के नाम निकालने के लिए लोगों से अवैध वसूली करता था। इसके अलावा, उसने कई बार अधिकारियों को फोन कर फटकारें भी लगाईं।
आरोपी का आवास:- गिरफ्तारी के बाद राधेश्याम का पर्सनल डिटेल मिला, जिसमें यह पता चला कि वह अजान थाना उद्योगनगर के निवासी हैं।
गिरफ्तारी का कारण:- आरोपी ने अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए खुद को फर्जी IPS बताया और इससे आत्मविश्वास बढ़ाते हुए वह गुनाह करता रहा। पुलिस ने उसकी धाराएं लगाईं और उसे समझा दिया कि कोई भी कानूनी अधिकारी अपराध करने का अधिकार नहीं होता।
इसी प्रकार, यह घटना एक दुर्भाग्यपूर्ण और शोकाकुल अद्भूत कथा है जो एक अद्वितीय तथ्य से हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी आदमी अपने आत्मविश्वास के चक्कर में कितनी अत्याचारी हरकतें कर सकता है। इससे हमें यह भी याद रखना चाहिए कि कभी भी किसी पर विश्वास करने से पहले हमें उनकी पहचान और पृष्ठभूमि की जाँच करनी चाहिए।