मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने फ्यूचर एंड ऑप्शंस (F&O) सेगमेंट में रिटेल निवेशकों के लिए लीवरेज और उतार-चढ़ाव को कम करने के उपायों पर विचार करने के लिए सेकेंडरी मार्केट एडवाइजरी कमिटी (SMAC) का गठन किया है। इस समिति में SEBI के अधिकारी, स्टॉक एक्सचेंज, प्रमुख ब्रोकरेज फर्में और ब्रोकर एसोसिएशन शामिल हैं। SMAC की बैठक 15 जुलाई को होगी, जिसमें एक्सपर्ट कमिटी की सिफारिशों पर विचार किया जाएगा।
रिटेल निवेशकों के लिए चुनौतियाँ
पिछले कुछ वर्षों में डेरिवेटिव सेगमेंट में टर्नओवर में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे SEBI, रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। SEBI ने हाल ही में डेटा साझा किया है जिसमें दावा किया गया है कि ऑप्शंस प्रीमियम टर्नओवर 2018 में 4.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 140 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसी अवधि के दौरान कुल डेरिवेटिव टर्नओवर 210 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 500 लाख करोड़ रुपये हो गया है। पिछले छह साल में ऑप्शन ट्रेडिंग में इंडिविजुअल्स की हिस्सेदारी 2% से बढ़कर 41% हो गई है।
सिफारिशें: उतार-चढ़ाव और लीवरेज
कॉन्ट्रैक्ट साइज:
SMAC डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के लॉट साइज को मौजूदा स्तर करीब 5 लाख रुपये प्रति कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू से बढ़ाकर 10-20 लाख रुपये प्रति कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू के बीच करने की सिफारिश पर विचार करेगा। यह प्रस्तावित परिवर्तन इसलिए किया जा रहा है क्योंकि पिछले छह सालों में मार्केट वॉल्यूम और टर्नओवर में लगभग ढाई से तीन गुना वृद्धि हुई है। इससे निवेशकों के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य बढ़ जाएगा और उनके द्वारा किए जाने वाले निवेश की राशि भी बढ़ेगी।
वीकली एक्सपायरी:
एक्सपर्ट पैनल ने सुझाव दिया है कि एक्सचेंजों को ऑप्शन प्रोडक्ट्स की डेली एक्सपायरी को खत्म करना चाहिए और किसी भी हफ्ते में किसी एक दिन ही एक्सपायरी होनी चाहिए। यह कदम इंडेक्स में अस्थिरता और शेयरों की कीमतों में किसी भी तरह की हेरफेर को कम करने में मदद करेगा। हालांकि, पैनल ने वीकली एक्सपायरी प्रोडक्ट्स की संख्या को कम करने की सिफारिश नहीं की है, बल्कि यह सुझाव दिया है कि एक्सपायरी के लिए एक ही दिन रखा जाए।
स्ट्राइक प्राइस को तर्कसंगत बनाना:
कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू बढ़ाने के लिए, पैनल ने इक्विटी ऑप्शंस में स्ट्राइक इंटरवल को बढ़ाकर स्ट्राइक प्राइस को तर्कसंगत बनाने की भी सिफारिश की है। इससे कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू और मार्जिन की आवश्यकता बढ़ जाएगी।
अपफ्रंट प्रीमियम:
एक्सपर्ट कमिटी ने सुझाव दिया है कि निवेशकों से अपफ्रंट प्रीमियम वसूलना चाहिए। वर्तमान में, ब्रोकर्स को एक्सचेंजों को अपफ्रंट प्रीमियम देना होता है। निवेशकों की ओर से ब्रोकर्स के पास रखे गए कोलैटरल के आधार पर लीवरेज के जरिए अपफ्रंड मार्जिन की रकम दी जाती है। रेगुलेटर अपफ्रंट प्रीमियम को ब्रोकर्स के जरिए दिए जाने की बजाय निवेशकों से सीधे पेमेंट पर विचार कर सकता है।
मार्जिन बढ़ाना:
एक्सपर्ट पैनल ने F&O ट्रेड्स के लिए इंट्राडे मार्जिन बढ़ाने पर भी विचार किया है। हालांकि, इस कदम को कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इंडस्ट्री पहले से ही डेरिवेटिव ट्रेड में ऊंचे मार्जिन को लेकर शिकायत कर रही है।
SEBI की SMAC बैठक में प्रस्तुत की गई सिफारिशें रिटेल निवेशकों के लिए F&O ट्रेडिंग की लागत और जटिलता को बढ़ा सकती हैं। हालांकि, इन सिफारिशों का उद्देश्य बाजार में स्थिरता लाना और निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। जैसे-जैसे मार्केट वॉल्यूम और टर्नओवर बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे इन उपायों की आवश्यकता भी बढ़ रही है।
रिटेल निवेशकों को इन परिवर्तनों के बारे में जागरूक रहना चाहिए और अपने निवेश रणनीतियों में उचित बदलाव करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इसके साथ ही, SEBI और अन्य रेगुलेटरी बॉडीज को यह सुनिश्चित करना होगा कि ये परिवर्तन निवेशकों के हित में हो और बाजार में पारदर्शिता और स्थिरता बनाए रखें।