फ्रांस ने गर्भपात को महिलाओं का संवैधानिक अधिकार घोषित करने के ऐतिहासिक कदम की घोषणा की है, जिससे यह दुनिया का पहला देश बन गया है जो गर्भपात को एक संवैधानिक अधिकार के रूप में मानता है। यह निर्णय फ्रांसीसी गणतंत्र में एक महत्वपूर्ण पल को दर्शाता है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वतंत्रता के प्रति समर्पण को प्रतिष्ठित करता है।
फ्रांसीसी गणतंत्र में, संसद ने गर्भपात को महिलाओं का संवैधानिक अधिकार बनाने संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक पर हुए मतदान में 780 सदस्यों ने पक्ष में मत दिया, जबकि 72 सदस्य विरोध में मत दिया। इसके परिणामस्वरूप, फ्रांस ने गर्भपात को संवैधानिक अधिकार के रूप में स्वीकृति देकर इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर एक सामाजिक और कानूनी परिवर्तन का सामना किया है।
फ्रांसीसी समाज में, गर्भपात के अधिकार को समर्थन करने वाले समूह ने सेंट्रल पेरिस में इकट्ठा होकर अपनी खुशी का इजहार किया। इस मौके पर, एफिल टॉवर पर ‘माई बॉडी माय चॉइस’ के साथ रोशनी की गई, जो एक सामाजिक संदेश को प्रकट करता है जो महिलाओं के अधिकार और स्वतंत्रता के प्रति समर्पित है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रोन ने इस उदाहरण को ‘फ्रांसीसी गौरव’ कहकर प्रशंसा की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि फ्रांस ने अपने नागरिकों को समानता और न्याय के मामले में सजग रहते हुए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हालांकि, गर्भपात के विरोधी ग्रुप्स ने इस निर्णय की तीखी आलोचना की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस मुद्दे पर समाज में विवाद और विपक्ष भी है।
फ्रांस में 1975 से गर्भपात कानूनी रूप से अनुमति प्राप्त है। हाल ही में हुए एक पोल में लगभग 85% जनता ने गर्भपात के अधिकार को समाप्त करने के अधिकार की रक्षा के लिए संविधान में संशोधन करने का समर्थन किया। इस संदर्भ में, फ्रांस ने अपने लोकतंत्र में एक और महत्वपूर्ण मिलन स्थापित किया है, जो नारी सशक्तिकरण और स्वतंत्रता के मामले में आगे बढ़ाने का संकेत देता है।
फ्रांस में गर्भपात के अधिकार को समर्थन करने वाले लोगों के अलावा, इस निर्णय को गर्भपात के विरोध में समूहों और धार्मिक आधारों पर आधारित लोगों ने भी समालोचना की है। इस संदर्भ में, कैथोलिक परिवारों के एसोसिएशन की अध्यक्ष पास्कले मोरिनियर ने इस निर्णय को गर्भपात विरोधी प्रचारकों के लिए एक हार कहा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस मुद्दे पर समाज में विवाद और आपत्ति भी है।