प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 14 जून को होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन के संपर्क सत्र में भाग लेने के लिए गुरुवार को इटली रवाना हुए। यह शिखर सम्मेलन वैश्विक भू-राजनीतिक उथल-पुथल से निपटने पर केंद्रित होगा, जिसमें यूक्रेन में चल रहे युद्ध और गाजा में संघर्ष जैसे मुद्दे प्रमुखता से छाए रहने की संभावना है। तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है, जो विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौतियां
इटली के अपुलिया क्षेत्र के बोर्गो एग्नाजिया के आलीशान रिसॉर्ट में 13 से 15 जून तक आयोजित होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी। यूक्रेन संघर्ष, जो कि एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, के बारे में भारत ने हमेशा संवाद और कूटनीति के माध्यम से समाधान निकालने पर जोर दिया है। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने इसे पुनः रेखांकित करते हुए कहा कि “हमने हमेशा यह माना है कि संवाद और कूटनीति ही इसका समाधान करने का सर्वोत्तम विकल्प है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने सितंबर 2022 में भी यह बयान दिया था कि “आज का युग युद्ध का नहीं है।” भारत के इस दृष्टिकोण को वैश्विक मंच पर सराहा गया है और इसे शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया है। युद्ध के परिणामों, जैसे भोजन, ईंधन और उर्वरक की उपलब्धता पर पड़ने वाले प्रभाव, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए चुनौतियां और वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्यवधान आदि पर भी चर्चा होगी।
भारत की भूमिका और महत्व
भारत ने न केवल संघर्ष, संवाद और कूटनीति की आवश्यकता के बारे में बात करने में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाई है, बल्कि इस बात पर भी जोर दिया है कि संघर्ष किस तरह विकासशील देशों की प्राथमिकताओं और हितों को प्रभावित कर रहा है। विनय क्वात्रा ने कहा कि भारत हमेशा से वैश्विक दक्षिण के समक्ष आने वाली चुनौतियों को कम करने के लिए मानवीय सहायता और संघर्ष से प्रभावित क्षेत्रों को सहायता प्रदान करने में सबसे आगे रहा है।
जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी पिछले वर्ष भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के परिणामों पर चर्चा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगी। यह भारत की वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए निरंतर बढ़ती भूमिका और मान्यता को दर्शाता है।
जॉर्जियो मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक
प्रधानमंत्री मोदी की इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जियो मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की उम्मीद है। इस बैठक में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों द्वारा द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण पहलुओं की समीक्षा की जाएगी तथा अगले कदमों के लिए दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। यह बैठक दोनों देशों के बीच सहयोग को और अधिक मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
अन्य द्विपक्षीय बैठकें और संभावित मुद्दे
मोदी की कुछ अन्य नेताओं के साथ भी द्विपक्षीय बैठकें करने की संभावना है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ कोई द्विपक्षीय बैठक करेंगे या नहीं। विनय क्वात्रा ने इस बारे में सीधा जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा कि मोदी का कार्यक्रम अभी तय किया जा रहा है।
संपर्क सत्र और अन्य प्रमुख मुद्दे
मोदी 14 जून को अन्य देशों के साथ संपर्क सत्र में भाग लेंगे। यह सत्र कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्य सागर से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित होगा। यह सत्र वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा, जहां विभिन्न देशों के नेता अपने दृष्टिकोण और अनुभव साझा करेंगे।
जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को रेखांकित करती है। यह यात्रा न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक मंच पर भी महत्वपूर्ण है। संवाद और कूटनीति के माध्यम से समाधान निकालने की भारत की नीति और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में इसकी सक्रिय भूमिका ने इसे एक महत्वपूर्ण साझेदार बना दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से उम्मीद की जा रही है कि यह द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगी तथा वैश्विक चुनौतियों के समाधान में नए आयाम जोड़ेगी। जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि वैश्विक मुद्दों पर भारत की आवाज को गंभीरता से सुना जा रहा है और इसे एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में देखा जा रहा है।