झारखंड सरकार ने हाल ही में चपरासी की 19 वैकेंसियों के लिए चयन किया है, जिसमें एक मंत्री के बेटे का भी नाम शामिल है। इस विषय पर चर्चा खुद मंत्री और उनके बेटे के चयन के आसपास है। यह सूचना सार्वजनिक होते हुए इस मामले में विवाद पैदा कर रही है।
झारखंड राज्य के एक मंत्री के बेटे को राज्य सरकार की 19 चपरासी की नौकरी मिली है। चयन प्रक्रिया के दौरान, उनका नाम 13वें नंबर पर आया है जिससे इस मामले में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
चयनित 19 लोगों में से एक और व्यक्ति भी मंत्री के भतीजे के रूप में चर्चा में है, जिनका नाम वेटिंग लिस्ट में है। नियमों के अनुसार, यदि किसी चयनित उम्मीदवार नौकरी की स्थानीय जिम्मेदारी संभालने के लिए ज्वाइन नहीं करता है, तो उसकी जगह वेटिंग लिस्ट के अनुसार किसी और उम्मीदवार को मौका मिल सकता है।
मंत्री के बेटे का नाम राज्य के विभिन्न स्तरों पर चर्चा का कारण बन गया है। इसमें से एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि चयनित उम्मीदवारों का नाम एसटी कोटे के तहत है।
इस घड़ी में, झारखंड सरकार के इस निर्णय ने सोशल मीडिया पर उग्रवाद पैदा किया है और उम्मीदवारों के चयन में नेतृत्व की चर्चा को लेकर सवाल उठे हैं।
मंत्री के बेटे के चयन के बाद चर्चा में है कि क्या नौकरी की स्थानीय जिम्मेदारियों के लिए उम्मीदवारों का चयन सही है या फिर यह एक नेताजी के संबंध में एक और उदाहरण है।
झारखंड सरकार के इस निर्णय ने राज्य में सरकारी नौकरियों के चयन में नेतृत्व की चर्चा को ताजगी दी है और इस पर विभिन्न दलों और लोगों के बीच विवाद बढ़ा है।