कांग्रेस पार्टी ने महिलाओं के उत्थान और समाज में उनकी भूमिका को मजबूत करने के लिए कई वादे किए हैं, जिनमें से एक वादा है कि हर गरीब परिवार की महिला सदस्य को सालाना 1 लाख रुपये की मदद दी जाएगी। इस वादे का सरकारी खजानों पर क्या प्रभाव होगा, यह जानने के लिए कुछ गहराई से समझना महत्वपूर्ण है।
पहले बात यह है कि कांग्रेस ने यह नहीं बताया है कि इस स्कीम में कितने गरीब परिवारों को लाभ प्रदान किया जाएगा। इसलिए, यह सवाल महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में गरीबी का स्तर अलग-अलग पद्धतियों के आधार पर अलग है।
अगर हम मान लें कि कांग्रेस सरकार यह स्कीम लागू करती है, और इसका लाभ लेने वाली महिलाओं की संख्या 14 करोड़ है, तो इसका वित्तीय बोझ बहुत बड़ा होगा। 1 लाख रुपये का सालाना लाभ पाने वाली 14 करोड़ महिलाओं के लिए कुल खर्च 2.8 लाख करोड़ रुपये होगा। यह भारत की जीडीपी का बड़ा हिस्सा है, जो वित्तीय स्थिति पर बहुत बड़ा दबाव डाल सकता है।
वित्तीय बोझ को और भी समझने के लिए, हमें यह भी देखना होगा कि सरकार कहां से इस धन को उठाएगी। अगर यह सारी राशि नई कर योजना से निकाली जाती है, तो इससे सरकारी बजट पर बड़ा दबाव पड़ेगा।
इसके अतिरिक्त, कांग्रेस ने और भी कई वादे किए हैं, जैसे कि महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियां प्रदान करना, पंचायत में महिलाओं को जागरूक करने के लिए पैरा-लीगल योजना, आदि। इन सभी योजनाओं का लागू होने से सरकारी खजानों पर और भी बड़ा दबाव पड़ेगा।
अगर हम वित्तीय बोझ को कम करने के लिए अन्य स्तरों पर देखें, तो इस स्कीम को केवल सबसे गरीब परिवारों के लिए लागू किया जा सकता है, जिनके पास अंत्योदय राशन कार्ड है। इससे सारी राशि की राशि कम हो जाएगी, लेकिन फिर भी वित्तीय दबाव बना रहेगा।
इस तरह, कांग्रेस के ये वादे महिलाओं के उत्थान के लिए अच्छे हो सकते हैं, लेकिन इसके साथ ही साथ वित्तीय प्रभाव को ध्यान में रखना भी महत्वपूर्ण है। इसे संतुलित रूप से लागू करने के लिए सरकार को उचित योजनाओं और स्रोतों की खोज करनी चाहिए।