एक क्षेत्रीय परिषद में हुई महत्वपूर्ण बैठक ने बिहार की सियासत में तहलका मचा दिया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गृह मंत्री अमित शाह के बीच हुई मुलाकात ने राजनीतिक कक्षा को गरमा दिया है। यह मुलाकात उनके बीच गठबंधन तोड़ने के बाद के पहले 15 महीने में हुई है।
बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गृह मंत्री अमित शाह को गुलदस्ता, शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट किया। इसके साथ ही, देश के विभिन्न प्रदेशों के प्रतिनिधि भी शामिल रहे और राज्यों के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने के लिए राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई थी।
बहुतेमिक राजनीतिक रंग-बिरंगी बातें हो रही हैं, जिनमें गठबंधन, राज्य सरकार, और विकास के मुद्दे शामिल हैं. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने अगस्त 2022 में बीजेपी के साथ गठबंधन छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाई थी, और इसके बाद से यह पहली बार है जब उन्होंने और अमित शाह ने साथ मंच साझा किया है.इस मुलाकात के बाद कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार और अमित शाह गंगा नदी में गाद की समस्याओं और बिहार के विकास के मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। बिहार सरकार ने पहले भी इस दिशा में कई बार चर्चा की है और इस बार भी उम्मीद है कि इस बैठक में यह मुद्दे उच्चतम पर आएंगे।
इस मुलाकात के पहले करीब 15 महीने बाद, नीतीश कुमार और अमित शाह की एक साथी बैठक ने सियासी दलों के बीच उत्साह और उत्साह को बढ़ा दिया है। बिहार में जेडीयू ने बीजेपी के साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाई थी और इसके बाद से यह पहली बार है जब नीतीश और शाह ने साझा मंच साझा किया है।
बैठक में हुई चर्चाएं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद के सदस्य राज्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं, और उम्मीद है कि इससे बिहार को न्यूनतम मूल्य, बुनियादी ढांचे का निर्माण, और जल बंटवारा जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। इस बैठक के बाद, शाह ने दिल्ली लौटने से पहले अपने प्रदेश भाजपा नेताओं के साथ भी एक बैठक करने का मौका दिया है।
समाज में हलचल मचा है कि नीतीश कुमार के लिए एनडीए के दरवाजे बंद हो गए हैं और उनकी मुलाकात अमित शाह के साथ एक साजगोट मानी जा रही है। कुछ नेताओं ने इसे नैतिक रूप से गलत बताया है और कहा है कि ऐसे किसी तरह के कयास लगाना उचित नहीं है। बीजेपी ने भी इसे सरकारी बैठक मानते हुए कहा है और विकास के लिए आ रहे हैं।
इस बैठक के बारे में हो रहे तर्कों में कहा जा रहा है कि बिहार को इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है, और यह सिर्फ राजनीतिक खेल है। बीजेपी ने कहा है कि गृह मंत्री क्षेत्रीय परिषद की बैठक के लिए पहुंचे हैं और इसमें कोई खास बात नहीं है।
इस बैठक के परिणामस्वरूप, बिहार में सियासत में तेजी आ गई है और लोग देखने को उत्सुक हैं कि इससे आगे क्या होगा। नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने नीतीश कुमार के लिए एनडीए के दरवाजे बंद होने का दावा किया है और कहा है कि अब उनसे हाथ मिलाना मुश्किल है। वह कहते हैं कि इसमें नैतिक अधिकार नहीं है।
सम्राट चौधरी ने इस मुलाकात को लेकर कहा कि नीतीश कुमार और अमित शाह दोनों ही कहां से मांग कर रहे हैं और इसमें नैतिक अधिकार नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य को विशेष पैकेज का पूरा हिस्सा नहीं मिला है और केंद्र को इस वादे को पूरा करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की मुद्दों पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रहा है और ऐसे कयास लगाना ठीक नहीं है।