हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 4 लाख फर्जी छात्रों के पाये जाने का मामला आठ साल पुराना है। इस मामले में जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) कर रही है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर यह जांच सीबीआई को सौंपी गई है और अब सीबीआई ने इस मामले में 7 लोगों पर FIR दर्ज की है।
मामले का इतिहास

इस मामले की शुरुआत 2016 में हुई जब हरियाणा के सरकारी स्कूलों में बड़ी संख्या में फर्जी छात्रों के एडमिशन कराए जाने की खबरें सामने आईं। हाई कोर्ट को बताया गया कि विभिन्न कक्षाओं में 22 लाख छात्र थे, लेकिन वास्तव में केवल 18 लाख छात्र ही पाए गए। इस प्रकार, चार लाख फर्जी दाखिले हुए थे। कोर्ट को यह भी बताया गया कि समाज के पिछड़े या गरीब तबके के छात्रों को स्कूल और मिड डे मील योजना में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कुछ लाभ दिए जा रहे हैं।
हाई कोर्ट का आदेश
हाई कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सतर्कता ब्यूरो को 4 लाख अनुपलब्ध छात्रों के लिए धन की संदिग्ध हेराफेरी की जांच के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया। पीठ ने जिम्मेदारी तय करने और दोष सिद्ध होने पर कार्रवाई करने का आदेश भी दिया।
सीबीआई की भूमिका

2019 में, हाई कोर्ट ने पाया कि राज्य सतर्कता द्वारा की जा रही जांच बहुत धीमी थी। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। हाई कोर्ट ने राज्य सतर्कता को 2 नवंबर, 2019 को अपने आदेश के एक सप्ताह के भीतर सभी दस्तावेज सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया और सीबीआई को तीन महीने के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

इस मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि इस जांच के लिए बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत पड़ सकती है और यह जांच राज्य पुलिस को सौंपी जानी चाहिए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद सीबीआई ने FIR दर्ज की।
FIR दर्ज करने की प्रक्रिया
CBI ने इस मामले में जांच करते हुए 7 लोगों पर FIR दर्ज की है। FIR दर्ज करने के बाद अब सीबीआई इस मामले की गहन जांच कर रही है। जांच के दौरान यह पता लगाने का प्रयास किया जाएगा कि फर्जी छात्रों के नाम पर सरकारी धन का किस प्रकार से दुरुपयोग हुआ और इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे।
हेराफेरी के कारण
फर्जी छात्रों के एडमिशन कराए जाने का मुख्य कारण यह था कि समाज के पिछड़े या गरीब तबके के छात्रों को स्कूल और मिड डे मील योजना में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कुछ लाभ दिए जा रहे थे। इस लाभ के कारण कुछ लोगों ने फर्जी नामों से छात्रों का एडमिशन कराया और सरकारी धन का दुरुपयोग किया।
सरकारी धन का दुरुपयोग
फर्जी छात्रों के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग एक गंभीर मामला है। सरकारी योजनाओं का उद्देश्य समाज के पिछड़े और गरीब तबके के लोगों की मदद करना है, लेकिन फर्जी नामों से छात्रों का एडमिशन कराकर कुछ लोगों ने इन योजनाओं का दुरुपयोग किया।
उच्च न्यायालय की चिंता
उच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया और कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए यह आवश्यक है कि इस मामले की गहन और निष्पक्ष जांच हो।
सीबीआई की जांच
सीबीआई अब इस मामले की जांच कर रही है और उम्मीद है कि जल्द ही सच सामने आएगा। सीबीआई की जांच से यह पता चलेगा कि फर्जी छात्रों के नाम पर किस प्रकार से सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ और इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे।
हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 4 लाख फर्जी छात्रों के मामले ने शिक्षा प्रणाली की खामियों को उजागर किया है। यह मामला यह दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग कर सकते हैं। अब सीबीआई की जांच से यह उम्मीद की जा रही है कि दोषियों को सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसे मामलों से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। इस प्रकार के मामले से न केवल सरकारी धन का नुकसान होता है, बल्कि समाज में भी गलत संदेश जाता है। इसलिए, इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाना आवश्यक है।