हेमंत सोरेन के खिलाफ जमीन के घोटाले मामले में ईडी द्वारा चार्जशीट फाइल करने की संभावना है। इस मामले में एजेंसी ने तय किए गए 60 दिनों की न्यायिक हिरासत की समाप्ति के दिन चार्जशीट दायर करने का फैसला किया है। सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था और उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि आज, 30 मार्च को पूरी हो रही है।
ईडी ने हेमंत सोरेन के खिलाफ जमीन के घोटाले मामले की जांच शुरू की थी और अब इस मामले में चार्जशीट दायर करने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तैयारी की जा रही है। सोरेन ने इस मामले में अपने स्वामित्व की बात से लगातार इनकार किया है, लेकिन ईडी के पास जमीन के साक्ष्य हैं जोकि उनके खिलाफ तर्क स्थापित कर सकते हैं।

बड़गाई अंचल के 8.46 एकड़ के जमीन के मामले में हेमंत सोरेन के खिलाफ ईडी ने अपनी जांच पूरी की है। एजेंसी के पास यहां तक के साक्ष्य हैं कि सोरेन ने इस जमीन के मामले में धोखाधड़ी की है। इसके अलावा, ईडी ने राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद के मोबाइल से मिले साक्ष्य को भी संज्ञेय बनाया है।
हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किए जाने के बाद ईडी ने उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू की थी। इस प्रक्रिया के दौरान उनसे कई मामलों पर पूर्वानुमति से पूछताछ की गई और अब चार्जशीट दायर करने का निर्णय लिया गया है।
यह घटना झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है। हेमंत सोरेन झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं और उन्हें यहां एक महत्वपूर्ण स्थान पर रहते हुए इस घटना के बारे में संज्ञान लेने की आवश्यकता है। इसके अलावा, इस मामले में ईडी के द्वारा चार्जशीट दायर किए जाने के बाद सोरेन के खिलाफ कॉरप्शन के मामलों की और भी जांच हो सकती है।

इस प्रकार, हेमंत सोरेन के खिलाफ जमीन के घोटाले मामले में ईडी द्वारा चार्जशीट फाइल करने की संभावना है और इसके बाद मामले की और भी गहराई में जांच की जाएगी।
ईडी ने 3 फरवरी से हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया था। इस दौरान, उनसे कई मामलों पर पूछताछ की गई थी, जिसमें उनकी जमीन की खरीदारी और अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में लेनदेन शामिल थे। ईडी ने कोर्ट को बताया कि सोरेन ने कई बिंदुओं पर सीधा और संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
हेमंत सोरेन की न्यायिक हिरासत की अवधि 4 अप्रैल तक बढ़ाई गई है। अब, ईडी की चार्जशीट के बाद, उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
सोरेन के खिलाफ चार्जशीट फाइल होने के बाद, उनकी स्थिति और मामले की गंभीरता का सही निर्णय किया जाएगा। इससे पहले, यह ईडी के और न्यायिक प्रक्रिया के अधीन है कि किसी भी प्रत्यारोपण के खिलाफ अंतिम निर्णय किया जाए।