गौतम अडानी और उनके व्यापारिक साम्राज्य के लिए यह वर्ष चुनौतियों से भरा रहा है। अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी 2023 के बाद एक बार फिर से एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और अडानी समूह के बीच कथित संबंधों पर सवाल उठाए गए हैं। इस रिपोर्ट के बाद अडानी समूह को भारी वित्तीय नुकसान हुआ, और गौतम अडानी की संपत्ति में भारी गिरावट देखी गई।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के प्रमुख आरोप
हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच का अडानी समूह की कुछ ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी है। इस संबंध में हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख पर आरोप लगाया कि उन्होंने निजी फायदे के लिए अडानी समूह के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की। रिपोर्ट में अडानी समूह को अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप भी शामिल हैं, जिससे गौतम अडानी की छवि को काफी नुकसान पहुंचा है।
रिपोर्ट के बाद शेयर बाजार में मची हलचल
हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद सोमवार को अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली। बाजार खुलते ही अडानी के दसों प्रमुख शेयरों में गिरावट आने लगी। अडानी एनर्जी के शेयर में सबसे ज्यादा 17 फीसदी की गिरावट आई, जबकि अडानी टोटल गैस के शेयर 13.39 फीसदी तक गिर गए। इसके अलावा अडानी पावर, अडानी गैस, और अडानी पोर्ट्स के शेयर भी गिरावट के शिकार हुए। यह गिरावट केवल अडानी समूह के लिए नहीं, बल्कि गौतम अडानी की व्यक्तिगत संपत्ति के लिए भी एक बड़ा झटका साबित हुई।
गौतम अडानी की संपत्ति में भारी गिरावट
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण गौतम अडानी की संपत्ति में भी बड़ी गिरावट आई। एक ही दिन में उनकी संपत्ति में 1.41 अरब डॉलर, यानी लगभग 1,18,36,35,78,000 रुपये की कमी हुई। ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स के अनुसार, इस गिरावट के बाद गौतम अडानी की कुल संपत्ति घटकर 104 अरब डॉलर पर पहुंच गई।
यह कोई पहली बार नहीं है जब अडानी समूह हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से प्रभावित हुआ हो। 24 जनवरी 2023 को जारी की गई पहली रिपोर्ट ने भी अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट लाई थी। उस समय अडानी की कंपनियों के शेयर 65 फीसदी तक गिर गए थे, जिससे उनके साम्राज्य का मार्केट कैप 100 अरब डॉलर तक घट गया था। इसके परिणामस्वरूप, गौतम अडानी, जो कभी दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति थे, टॉप 30 की सूची से बाहर हो गए थे।
इस बार के नुकसान का आकलन
हालांकि, इस बार की रिपोर्ट का असर पिछले बार की तुलना में उतना गंभीर नहीं रहा। हालांकि अडानी के शेयरों में गिरावट आई, लेकिन बाजार पर इसका बहुत बड़ा असर नहीं दिखा। अडानी समूह के शेयरों में कुछ गिरावट जरूर आई, लेकिन इससे शेयर बाजार में कोई बड़ी उथल-पुथल नहीं मची।
आगे की संभावनाएं और चुनौतियां
गौतम अडानी और उनका समूह पहले भी विभिन्न चुनौतियों का सामना कर चुका है और उन्हें पार करने में सफल रहा है। हालांकि, इस बार की रिपोर्ट से उनकी साख पर एक और चोट पड़ी है, और यह देखना होगा कि वह इस संकट से कैसे उभरते हैं। अडानी समूह के लिए यह समय न केवल वित्तीय स्थिरता बनाए रखने का है, बल्कि निवेशकों के विश्वास को भी बहाल करने का है।
हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट ने एक बार फिर गौतम अडानी और उनके समूह के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। रिपोर्ट के आरोपों से न केवल अडानी समूह के शेयरों में गिरावट आई है, बल्कि गौतम अडानी की संपत्ति में भी भारी नुकसान हुआ है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि अडानी समूह इस संकट से कैसे निपटता है और निवेशकों के विश्वास को फिर से हासिल करता है। इस समय अडानी समूह के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपनी साख और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखना है, जिससे वह भविष्य में और भी मजबूत होकर उभर सके।