मिग-21 विमानों को तेजस मार्क-1A से बदलने का निर्णय इंडियन एयरफोर्स की एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें कई कारण हैं जो इस निर्णय को साबित करते हैं। मिग-21, जो सिंगल इंजन और सिंगल सीटर होने के साथ साथ इंटरसेप्टर और लड़ाकू विमान के रूप में जाना जाता है, ने अपने लम्बे सेवा काल में कई कामयाबीयां हासिल की हैं, लेकिन सुरक्षा संबंधित मुद्दों ने इसे “फ्लाइंग कॉफिन” के नाम से भी जाना जाता है। इसके क्रैशों की दर और सुरक्षा मुद्दों के कारण, इसे सेफ्टी की दृष्टि से हटाने का निर्णय लिया गया है।

मिग-21 विमानों के क्रैशों के कारण इसे “फ्लाइंग कॉफिन” कहा जाता है, जिसमें कुल 872 मिग-21 विमानों में से आधे से अधिक हादसे हो चुके हैं। इसमें करीब 200 पायलटों और 50 सिविलियंस की जान जा चुकी हैं। इस विमान की सुरक्षा के मुद्दे ने इसे फ्लाइंग काफिंग बना दिया है। तेजस मार्क-1A, जो अब मिग-21 की जगह लेगा, एक स्वदेशी लड़ाकू विमान है जिसमें विभिन्न उन्नत तकनीकी विशेषताएं शामिल हैं।

इसमें स्वदेशी उपकरणों का 65% इस्तेमाल किया गया है और इसमें एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन एरिया (AESA), बियांड विजुअल रेंज मिसाइल (BVR), मॉडर्न इलेक्ट्रिकल वॉरफेयर सूट, एयर टू एयर रिफ्यूलिंग जैसी तकनीकी विशेषताएं शामिल हैं।

इसके आने से भारतीय एयरफोर्स को मॉडर्न और सुरक्षित विमानों का होना सुनिश्चित होगा, जो अब के तकनीकी मानकों के अनुसार बनाए गए हैं। तेजस मार्क-1A की शानदार क्षमता और उन्नत तकनीकी विशेषताएं भारतीय रक्षा को मजबूत करेंगी और उसे सशक्त बनाए रखेंगी। सारांश में, मिग-21 के स्थान पर तेजस मार्क-1A को लाना एक सकारात्मक कदम है जो भारतीय रक्षा को मॉडर्न और सुरक्षित विमानों की पर्याप्त संख्या में सुनिश्चित करेगा। इससे भारतीय एयरफोर्स की क्षमता में वृद्धि होगी और उसे आने वाले समय में अपनी रक्षा योजनाओं को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलेगी।