हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया है, जिसमें कहा गया है कि कुछ मंदिरों में बोर्ड लगाना चाहिए जो गैर-हिंदुओं को अंदर आने से रोके। इसके अलावा, कई और मंदिर हैं जहां ऐसा पहले से ही प्रचलित है। यहां से कुछ मंदिरों की चर्चा की जा रही है जिनमें गैर-हिंदुओं को दर्शन के लिए प्रवेश नहीं मिलता है।
1. जगन्नाथ पुरी मंदिर:
जगन्नाथ पुरी मंदिर, ओडिशा में स्थित है और हर साल लाखों-करोड़ों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। मद्रास हाईकोर्ट के फैसले की तरह इस मंदिर में भी गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगा हुआ है, जिसका इतिहास मुस्लिम शासकों के हमलों के बाद है।
2. कपालेश्वर मंदिर, चेन्नई:
चेन्नई के मलयापुर में स्थित कपालेश्वर मंदिर में भी गैर-हिंदुओं की एंट्री पर रोक है। इस 17वीं शताब्दी के ऐतिहासिक मंदिर में सिर्फ धार्मिक आस्थाएँ हिंदूओं को ही प्रवेश की अनुमति देती हैं।
3. गुरुवायुर मंदिर, केरल:
केरल के त्रिशूर में स्थित गुरुवायुर मंदिर, जिसमें ईष्टदेव के रूप में श्री कृष्ण हैं, में भी गैर-हिंदुओं और विदेशी पर्यटकों का प्रवेश पूरी तरह से बंद है।
4. दिलवाड़ा मंदिर, माउंट आबू, राजस्थान:
राजस्थान के माउंट आबू में स्थित दिलवाड़ा मंदिर, जैन धर्म को समर्पित है, और इसमें गैर-हिंदुओं की एंट्री पर रोक है।
5. काशी विश्वनाथ मंदिर:
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर, भारत में सबसे पवित्र माना जाता है। यहां भी गैर-हिंदुओं की एंट्री पर रोक है, हालांकि विदेशी गैर-हिंदुओं को प्रवेश की इजाजत है।
6. लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर:
ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर में सिर्फ हिंदू ही प्रवेश कर सकते हैं, और यहां पर गैर-हिंदुओं की एंट्री पूरी तरह से बंद है।
इन मंदिरों में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर बैन लगाने की नीति ने सामाजिक और धार्मिक विवादों को बढ़ावा दिया है, जिसका आम लोगों और सामाजिक समृद्धि को प्रभावित कर सकता है। इससे यह प्रश्न उठता है कि क्या धर्मिक स्थलों में सबका सामंजस्य बनाए रखने के लिए कुछ सामग्रीय सुधार की आवश्यकता है ताकि सभी लोग शांति और समरसता में रह सकें।