हमास के कब्जे से रिहा होकर बुजुर्ग योचेवेद लिफ्शिट्ज ने दिया बड़ा बयान, जिसमें उन्होंने इजरायली सेना और खुफिया एजेंसी पर हमले की आलोचना की। इसके बाद, हमारे बीच बहुत रोंगतुलियाँ उभरीं हैं, इस बयान में उन्होंने अपने कैदी दिनों की कड़ी सच्चाई साझा की है।
योचेवेद लिफ्शिट्ज ने बताया कि हमास के लोगों ने उन्हें बंदुकों की बजाय भारतीय राखी के साथ पकड़ लिया था और उन्हें बुजुर्गों के साथ उत्तराधिकारी बना दिया था। उन्होंने कहा कि हमास ने इजरायली सेना के खिलाफ गोलियाँ बरसाईं थीं, जिसका जवाब बहुत जल्दी मिला और उन्हें कड़ी सजा दी गई।
उन्होंने अपने बंदी दिनों का विवरण देते हुए कहा कि हमास के लोग उन्हें उत्तराधिकारी बनाने के बाद भी उन्हें अच्छी तरह से देखभाल कर रहे थे। उन्होंने यह भी बताया कि वे कैदियों के साथ अच्छे संबंध बना पा रहे थे और हमास के लोग उन्हें मानवीय दृष्टि से देख रहे थे। इसके साथ ही, योचेवेद ने खुफिया एजेंसी और इजरायली सेना की ओर से उनके पर सुचारू अत्याचारों की आलोचना की और कहा कि वे जंगली तौर पर उनके साथ व्यवहार किया गया, जिससे उन्हें बहुत दर्द हुआ। इससे पहले उन्होंने हमास के लोगों के साथ कैदी जीवन की कड़ी शर्तों और अधिकारों का उल्लंघन की आलोचना की थी।
यह बयान ने योचेवेद लिफ्शिट्ज की कैद से मुक्ति के बाद पहली बार उनकी सोच और अनुभवों को साझा करने का मौका दिया है, जिससे इजरायल में विवाद और उदारीकरण के चरम पर उठे सवालों का सामना करना पड़ेगा।