तुर्की मे हाहाकार मदद के लिय पहुंचे 70 देश:- जैसे जैसे समय बितता जा रहा है तुर्की और सीरिया से ऐसी कहानी सामने आ रही है जिसे सुनकर कलेजा कांप जाता है। तुर्की में अब तक मौत का आकड़ा करीब 8000 के पास पंहुच गया है। 6 फरवरी की सुबह तकरीबन चार बजे तुर्की सीरिया में विनाशकारी भूकंप ने सबकुछ तबाह कर दिया। रेस्क्यू टीम एक के बाद एक जान बचा रही है। हलांकि रेस्कयू के दौरान टीम को सबसे बड़ी दिक्कत ये आ रही है कि मलबे में कई लोग जिंदा फंसे हैं अगर कोई मलावा या ढाचा गिराया जाता है तो उन लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। इसलिए इससे सवधानी बरतने के लिए सैनिक डाॅगी को लगाया गया है।
तुर्की की मदद करने पहुंचे 70 देशों की रेस्क्यू टीम
ये डाॅगी सूघंकर बतादेंगे कि मलबे में कहां लोग फंसे हुए है। आपको बता दे कि तुर्की सीरियां में विनाशकारी भूकंप के बाद 70 देशों ने तुर्की में मदद भेजी है। इसी बीच भारत के एनडीआरएफ की दो टीम तुर्की पंहुचकर रेस्क्यू शुरू कर दी है। मेंडिकल टीम भी अपना कैंप बनाकर लोगों को इलाज कर रही है। राहत-बचाव कार्य में सबसे बड़ी दिक्कत मलबे के नीचे दबे लोगों को बचाना है। बहुमंजिला इमारतों के नीचे लोग दबे हुए हैं। उनमें से कई जिंदा भी हैं लेकिन पहचान कर पाना रेस्क्यू टीम के लिए मुश्किल है।
कई देशों ने तुर्की ने भेज स्पेशल डॉग्स जो दबे लोगों खोजेगा
इसलिए मेक्सिको ऐसे स्पेशल डॉग्स तुर्की में भेज रहा है जोकि मलबे के नीचे दबे लोगों को तुरंत खोज लेगा। 16 कुत्तों के साथ एक विमान मैक्सिको सिटी से उड़ान भरी है। हालांकि तुर्की और सीरिया में बचाव प्रयासों में मदद के लिए कुत्तों को भेजने वाला मेक्सिको अकेला देश नहीं है। बल्कि क्रोएशिया, चेक गणराज्य, जर्मनी, ग्रीसए लीबिया, पोलैंड, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका भी खास ब्रिड के डॉग्स भेज रहे हैं। जानवरों का उपयोग अक्सर उन क्षेत्रों में किया जाता है जहां भारी मशीनरी के उपयोग से मलबे के और गिरने का खतरा हो सकता है, जिससे जीवित बचे लोगों की जान जोखिम में पड़ सकती है। कुत्तों को मनुष्यों को सूंघने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है और जहां गंध सबसे मजबूत होती है, वहां भौंकने और जमीन को खरोंच कर वो सचेत करते हैं।