अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का नाम शंकराचार्य के रूप में प्रतिष्ठित है, लेकिन हाल ही में गोविंदानंद सरस्वती ने उन पर गंभीर आरोप लगाकर इस प्रतिष्ठा को चुनौती दी है। गोविंदानंद सरस्वती का कहना है कि अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती न केवल झूठे और फर्जी हैं, बल्कि अपराधी भी हैं। यह विवाद तब और भड़क गया जब गोविंदानंद ने कुछ कानूनी दस्तावेज दिखाते हुए आरोप लगाए।
विवाद की शुरुआत
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, जो कि केंद्र के फैसलों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर आलोचक माने जाते हैं, तब से सुर्खियों में हैं जब से वह मुकेश अंबानी के बेटे की शादी में शामिल हुए थे। गोविंदानंद सरस्वती ने उन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह एक झूठे, फर्जी, ढोंगी और अपराधी हैं। गोविंदानंद सरस्वती का कहना है कि अविमुक्तेश्वरानंद कोई शंकराचार्य नहीं हैं, बल्कि उन्हें कांग्रेस ने घोषित किया है।
कानूनी दस्तावेजों का हवाला
गोविंदानंद सरस्वती ने अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट और भगोड़ा घोषित किए जाने की बातें कही हैं। उन्होंने वाराणसी कोर्ट का आदेश दिखाते हुए कहा कि अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को भगोड़ा घोषित किया गया था। गोविंदानंद ने कहा, “हम यह सब सुप्रीम कोर्ट से न्याय चाहते हैं। अविमुक्तेश्वरानंद देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं।”
प्रियंका गांधी और कांग्रेस पर आरोप
गोविंदानंद सरस्वती ने कांग्रेस पार्टी और प्रियंका गांधी वाड्रा पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी ने 13 सितंबर, 2022 को एक पत्र में अविमुक्तेश्वरानंद को श्रद्धेय शंकराचार्य के रूप में संबोधित किया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्टे जारी किया था। गोविंदानंद का कहना है कि कांग्रेस अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य घोषित करके धार्मिक और सामाजिक ताना-बाना बिगाड़ने की कोशिश कर रही है।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो

गोविंदानंद सरस्वती का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को झूठा, फर्जी, ढोंगी और अपराधी बता रहे हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब चर्चा का विषय बना हुआ है और लोगों के बीच एक नई बहस को जन्म दे रहा है।
धर्म और राजनीति का संगम
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पर लगे आरोप न केवल धार्मिक प्रतिष्ठा को प्रभावित करते हैं, बल्कि यह मुद्दा राजनीतिक रंग भी ले चुका है। गोविंदानंद सरस्वती ने सीधे तौर पर कांग्रेस और प्रियंका गांधी वाड्रा पर आरोप लगाकर यह स्पष्ट कर दिया है कि यह मामला धर्म और राजनीति का संगम बन चुका है।
कानूनी कार्रवाई और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
इस विवाद के बाद अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट से न्याय चाहते हैं और उम्मीद करते हैं कि न्यायालय इस मामले में त्वरित निर्णय लेगा। उन्होंने कहा, “हम यह सब सुप्रीम कोर्ट को बताना चाहते हैं लेकिन वे अगली तारीखें देते रहते हैं और हमें न्याय चाहिए। वह देश और धर्म दोनों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।”
भविष्य की संभावनाएं
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पर लगे आरोप और गोविंदानंद सरस्वती की प्रतिक्रिया के बाद अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है। यह विवाद केवल दो संतों के बीच का नहीं है, बल्कि यह धार्मिक और राजनीतिक परिदृश्य को भी प्रभावित कर सकता है।
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और गोविंदानंद सरस्वती के बीच का यह विवाद धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र में एक नई बहस को जन्म दे चुका है। गोविंदानंद सरस्वती के आरोपों और कानूनी दस्तावेजों का हवाला देते हुए इस विवाद ने एक गंभीर मोड़ ले लिया है। अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जो इस मामले में अंतिम निर्णय लेगा और यह तय करेगा कि इस विवाद का अंतिम परिणाम क्या होगा।