छठ पर्व, जो हिंदी क्षेत्र में महत्वपूर्ण है, उसे लेकर जगाय के 20 मुस्लिम परिवार ने एक अद्वितीय पहल किया है और इस पर्व के लिए आलता बनाना शुरू किया है। यह परिवार पूरी तरह से निष्ठा और समर्पण के साथ यह आलता बना रहा है, लेकिन इस मेहनत के बावजूद उन्हें सही मूल्य नहीं मिल रहा है, जिससे उन्हें परेशानी हो रही है।
मुहम्मद शमशेर और मुज़मिल डब्लू, जो इस पहल के प्रमुख संचालक हैं, ने बताया कि छठ पर्व के अवसर पर आलता बनाना काफी मेहनतिपूर्ण है। वे बताते हैं, “आलता बनाने में काफी मेहनत लगती है, लेकिन इस मेहनत के हिसाब से सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है।”
इन 20 मुस्लिम परिवारों ने अपने समर्पण और सामूहिकता के माध्यम से छठ पर्व का समर्थन किया है और उसमें अपना सक्रिय हिस्सा लिया है। यह प्रयास धार्मिक सामर्थ्य के माध्यम से सामाजिक एकता को बढ़ावा देने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
आलता बनाने में कारीगरों का कहना है कि इस काम में आटा, मैदा, पानी, और सिमर की रूई का उपयोग होता है, और वे इसे गोबर से लीप कर सुखाते हैं। इसे बनाने में उन्हें आपसी समर्थन और सहयोग की आवश्यकता है ताकि वे अच्छे दामों में अपना उत्पाद बेच सकें।
इस पहल से साफ है कि धार्मिक सामर्थ्य और सामूहिकता के माध्यम से लोगों को एक साथ लाने का प्रयास हो रहा है, लेकिन इस उद्यम की सफलता के लिए सही मूल्य और समर्थन की आवश्यकता है।