जम्मू और कश्मीर में चल रहे चुनावों के माहौल में तनाव बढ़ रहा है और इसके पीछे एक अहम कारण है – पाकिस्तान से संबंधित आतंकी संगठनों की गतिविधियों में वृद्धि। पाकिस्तान की उत्साहित आतंकी संगठनों का उद्दीपन चुनावी प्रक्रिया को दुर्भाग्यपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। चुनावी तंगी के बीच, सुरक्षा बलों को भी आतंकियों की गतिविधियों का सामना करना पड़ रहा है।
जम्मू और कश्मीर के चुनावों के माहौल में तनाव का एक बड़ा कारण यह है कि बारहवें चरण के मतदान से पहले ही पुंछ इलाके में एक आतंकी हमला हुआ था। इसके बाद, घाटी में और भी आतंकी हमलों की आशंका है। इसके परिणामस्वरूप, सुरक्षा बलों को विशेष सतर्कता बनाए रखने की आवश्यकता है।

इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि पाकिस्तान संबंधित आतंकी संगठनों की सक्रियता चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है। पाकिस्तान की उन्नति के दुश्चिन्ह भी देखे जा रहे हैं, जो कि चुनावी उत्सव के दौरान अधिक खतरनाक हो सकते हैं।
पाकिस्तान के इन कार्रवाईज के बीच, भारतीय सुरक्षा बलों ने भी अपनी चौकसी को और बढ़ा दिया है। वे खुद को तैयार रखने के लिए कड़े इंतजामात कर रहे हैं, ताकि किसी भी प्रकार के आतंकी हमले का सामना किया जा सके।

चुनावी प्रक्रिया में इस तरह के तनाव और असुरक्षा के माहौल में, लोगों को चुनावी कर्मचारियों और सुरक्षा बलों के साथ मिलकर काम करने के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है। सुरक्षा बलों द्वारा अपनी चौकसी को और बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार के आतंकी हमले का सामना किया जा सके और चुनावी प्रक्रिया को ख़तरे से दूर रखा जा सके।
इस संदर्भ में, खुफिया एजेंसियों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हें अवश्यक जानकारी प्राप्त करने और आतंकी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
कुल मिलाकर, जम्मू और कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए, सुरक्षा बलों को सतर्क रहना होगा और उन्हें आतंकी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए तैयार रहना होगा। लोगों को भी सतर्क रहना होगा और वे चुनावी प्रक्रिया में भाग लेते हुए सुरक्षा बलों के साथ मिलकर काम करें।