रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य सरकार के तरफ से आदिवासी समूहों के लिए ट्राइबल डेवलपमेंट डिजिटल एटलस तैयार करने का निर्देश दिया है। इस एटलस का उद्देश्य आदिवासियों को सरकारी योजनाओं का लाभ बेहतर तरीके से पहुंचाना है। इस योजना के अंतर्गत पहले अति कमजोर आदिवासी समुदाय का बेसलाइन सर्वे किया जाएगा। इससे उनकी आवश्यकताओं और विकास की आवश्यकताओं का सही आकलन होगा।

डिजिटल एटलस का महत्व:-यह डिजिटल एटलस उन आदिवासी बहुल गांवों के लिए तैयार किया जा रहा है, जिन्हें सीधे और सुरक्षित तरीके से सरकारी योजनाओं से जोड़ा जा सकता है। इसमें प्रत्येक गांव और टोला की बुनियादी सुविधाओं की वर्तमान स्थिति, और विकास के मानक लक्ष्यों के साथ क्रिटिकल गैप का आकलन होगा। यह एटलस शिक्षा, कौशल क्षमता, रोजगार, आय, जीवन स्तर, आदि के संबंध में भी ब्योरा तैयार करेगा।

कौशल विकास को मिलेगा बढ़ावा:- इस योजना के तहत पहले चरण में 150 युवाओं को विभिन्न परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाएगा, जिसमें 60 से अधिक युवतियां शामिल हैं। यह योजना उनको सीधे और सुरक्षित तरीके से कौशल विकास की ओर मोड़ने में मदद करेगी। यह एक पहल है जो आदिवासी समुदायों के लिए ऐसी कोचिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया है।

सुविधाओं को डिजिटल एटलस से जोड़ने का प्रयास:- इस प्रयास का मुख्य उद्देश्य है कि आदिवासी समुदाय को राज्य सरकार की योजनाओं से सीधे और आसानी से जोड़ा जा सके। डिजिटल एटलस के माध्यम से आदिवासियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, जैसे कि पक्के आवास, स्वच्छता, शुद्ध पेयजल, बिजली/सौर विद्युतीकरण, पेंशन, आयुष्मान कार्ड, पीडीएस, ई-श्रम, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी तक पहुंच, शिक्षा, सिंचाई हेतु जल की उपलब्धता, हर मौसम में सड़क कनेक्टिविटी, मोटर बाइक एम्बुलेंस/मोबाइल स्वास्थ्य केंद्र, मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी, वनोत्पाद आधारित आजीविका सहित अन्य सुविधाएं।
नेतृत्व में पहल:- राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में शुरू किए जाने वाले इस पहल के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े आदिवासी समुदायों को मिलेगा सही दिशा और सुविधाएं। इस पहल के जरिए, आदिवासी युवा शक्ति को बेहतर तरीके से सक्षम बनाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि वे अपने क्षेत्र में विकास का अग्रणी भूमिका निभा सकें।