रांची: झारखंड की राजनीति में एक बार फिर बड़ी उठा-पटक देखने को मिली है। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया और बहुमत के साथ इसे जीत लिया है। इसके साथ ही हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार का गठन एक बार फिर सुनिश्चित हो गया है। इस राजनीतिक घटनाक्रम ने झारखंड की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा है।
चंपई सोरेन का इस्तीफा
हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद झारखंड की राजनीति में काफी हलचल हुई। मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया। चंपई सोरेन के इस्तीफे के बाद, हेमंत सोरेन को विधायक दल का नेता चुना गया और उन्होंने झारखंड विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया।
बहुमत के साथ विश्वास प्रस्ताव की जीत
हेमंत सोरेन ने विधानसभा में बहुमत के साथ विश्वास प्रस्ताव जीत लिया है। उन्हें कुल 45 वोट मिले, जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायकों ने उनका समर्थन किया। झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने विश्वास प्रस्ताव पर बहस के लिए एक घंटे का समय दिया था।
सीएम पद की शपथ
हेमंत सोरेन ने चार जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। उन्होंने चंपई सोरेन के पद से हटने के एक दिन बाद यह शपथ ग्रहण की। हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में झारखंड हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद 28 जून को जेल से रिहा किया गया था। उन्होंने 31 जनवरी को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने से कुछ समय पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था।
राजनीतिक समीकरण
झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में 76 विधायक हैं। इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री बनना सुनिश्चित हो गया है। हेमंत सोरेन के पक्ष में 45 वोट मिलना उनके राजनीतिक कद और नेतृत्व की क्षमता को दर्शाता है।
हेमंत सोरेन का राजनीतिक सफर
हेमंत सोरेन का राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। उन्होंने अपने पिता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन के नेतृत्व में राजनीति की शुरुआत की। हेमंत सोरेन ने झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और अपने नेतृत्व में पार्टी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भूमि घोटाला मामला
हेमंत सोरेन का नाम भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आया था, जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। हालांकि, उन्हें झारखंड हाई कोर्ट से जमानत मिली और वे जेल से रिहा हो गए। इस मामले ने उनके राजनीतिक करियर पर धब्बा लगाया, लेकिन उनके समर्थकों ने हमेशा उनका समर्थन किया और उन्हें निर्दोष बताया।
झारखंड की जनता की उम्मीदें
झारखंड की जनता ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व में अपनी उम्मीदें बांधी हैं। लोगों का मानना है कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य का विकास हो सकता है और उनके मुद्दों का समाधान हो सकता है। हेमंत सोरेन ने भी जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने का वादा किया है और राज्य के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई हैं।
आगे की चुनौतियाँ
हेमंत सोरेन के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें राज्य का विकास, भ्रष्टाचार का उन्मूलन, और जनता की समस्याओं का समाधान शामिल है। उन्हें अपने कार्यकाल में इन चुनौतियों का सामना करना होगा और राज्य की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा।
हेमंत सोरेन की विश्वास प्रस्ताव की जीत ने झारखंड की राजनीति में एक नया मोड़ दिया है। उनके नेतृत्व में राज्य का विकास और जनता की समस्याओं का समाधान संभव हो सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि हेमंत सोरेन अपने कार्यकाल में कैसे चुनौतियों का सामना करते हैं और राज्य की जनता की उम्मीदों पर कितना खरा उतरते हैं। झारखंड की राजनीति में यह घटनाक्रम एक महत्वपूर्ण मोड़ है और इसका प्रभाव आने वाले समय में भी देखा जाएगा।