जीतन राम मांझी का एमएसएमई मंत्रालय के साथ जुड़ना और उनके द्वारा किए गए खुलासे ने कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया। मांझी, जो बिहार के गया जिले के मोहनपुर में एक कार्यक्रम में उपस्थित थे, ने बताया कि जब उन्हें एमएसएमई मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई तो उनकी पहली प्रतिक्रिया काफी निराशाजनक थी। उन्होंने यहां तक कहा कि उन्होंने माथा ठोंक लिया था।
मांझी का कहना है कि उन्हें पहले नहीं पता था कि एमएसएमई मंत्रालय की क्या भूमिका होती है और इसे क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है। उनका मानना था कि यह विभाग उनके कद और उनकी राजनीतिक यात्रा के अनुरूप नहीं था। उन्होंने यह भी बताया कि वह पीएम मोदी से मिलकर यह शिकायत करने वाले थे। लेकिन, जब वह पीएम मोदी से मिले तो पीएम मोदी ने उनसे कहा, “मांझी जी, हमने आपको अपनी कल्पना का विभाग दिया है। मेरा यह सपना है, उस सपना को पूरा करना है।”
पीएम मोदी के इस वाक्य ने मांझी के दृष्टिकोण को पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने समझा कि एमएसएमई मंत्रालय न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका काम राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा सकता है। इसके बाद मांझी ने इस मंत्रालय को चुनौती के रूप में स्वीकार किया और इसकी जिम्मेदारियों को निभाने का प्रण लिया।
एमएसएमई मंत्रालय का महत्व समझने के लिए हमें इसके कार्य और उद्देश्य को जानना होगा। मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, “सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) मौजूदा उद्यमों को सहायता प्रदान करने और नए उद्यमों को प्रोत्साहित करके संबंधित मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के सहयोग से, खादी, ग्रामोद्योग और कयर उद्योग सहित एमएसएमई क्षेत्र की वृद्धि और विकास को बढ़ावा देकर एक जीवंत एमएसएमई क्षेत्र की कल्पना करता है।”
इस मंत्रालय का उद्देश्य केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका व्यापक दृष्टिकोण सामाजिक और आर्थिक सुधारों के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना भी है। एमएसएमई क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करना, नए उद्यमियों को प्रोत्साहित करना और मौजूदा उद्यमों को उनकी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करना, इन सभी का महत्वपूर्ण योगदान है।
जीतन राम मांझी ने आगे अपने भाषण में डॉ. भीम राव अम्बेडकर की विचारधाराओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि अम्बेडकर ने कॉमन स्कूलिंग सिस्टम की बात की थी, जहां राष्ट्रपति के बेटे और भंगी के बेटे को एक समान शिक्षा मिले। लेकिन आज यह विचारधारा लागू नहीं हो पा रही है। मांझी ने यह भी कहा कि अगर वह सिर्फ सांसद होते तो संसद में डंका की चोट पर यह मुद्दा उठाते और अम्बेडकर का नाम लेना बंद करने को कहते। लेकिन मंत्री बनने के बाद वह यह सब नहीं कह सकते, क्योंकि उनके सामने एक ढाल रख दी गई है।
यह स्पष्ट है कि मांझी एक समर्पित और दृढ़निश्चयी नेता हैं, जो समाज के हर वर्ग के लिए समान अवसर और न्याय की बात करते हैं। पीएम मोदी के प्रेरणात्मक शब्दों ने मांझी को यह समझने में मदद की कि एमएसएमई मंत्रालय उनके लिए एक महत्वपूर्ण और सार्थक जिम्मेदारी है, जो समाज के आर्थिक और सामाजिक ढांचे को मजबूती देने में अहम भूमिका निभा सकती है।
अंत में, जीतन राम मांझी का यह अनुभव एक प्रेरणा स्रोत के रूप में देखा जा सकता है। यह दिखाता है कि कैसे एक नेता अपने दृष्टिकोण और समझ में बदलाव लाकर समाज की भलाई के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है। एमएसएमई मंत्रालय के माध्यम से मांझी ने यह साबित किया कि सही मार्गदर्शन और दृष्टिकोण के साथ किसी भी चुनौती को स्वीकार किया जा सकता है और उसे सफलतापूर्वक पूरा किया जा सकता है।