जॉर्डन में फंसे 120 भारतीय मजदूरों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, जिनमें सीतामढ़ी जिले के पांच श्रमिक भी शामिल हैं। इन मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं मिल रही है और उनका वीजा और पासपोर्ट भी जप्त किया गया है। इस स्थिति में इन मजदूरों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
जॉर्डन में काम करने वाले इन मजदूरों की समस्याएं आईं सामने जब उनके काम करने की कंपनी ने काम बंद कर दिया और उन्हें उनकी मासिक मजदूरी नहीं मिली। इसके बाद उनका वीजा और पासपोर्ट जप्त कर लिया गया, जिससे उन्हें वहां से लौटने में भी कठिनाई हो रही है। इस स्थिति में इन मजदूरों ने एक वीडियो जारी किया है और केंद्र सरकार से वतन वापसी की मदद की गुहार लगाई है।
इन मजदूरों में से कुछ ने वीडियो में अपनी कहानी साझा की है, जिसमें उन्होंने अपनी कठिनाइयों का बयान किया है। उन्होंने बताया कि उन्हें वहां काम करने के बाद उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ और फिर उनका वीजा और पासपोर्ट जप्त किया गया। अब उन्हें न तो वतन लौटने के लिए पैसे हैं और न ही उनके पास आवश्यक दस्तावेज हैं। इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
ऐसे विषम परिस्थितियों में इन श्रमिक बंधुओं के पास अब न तो वतन बापसी के लिए पैसे हैं. और ना ही उनके पास वीजा, पासपोर्ट है. ऐसे में इन मजदूरों ने जॉर्डन से एक वीडियो जारी कर केंद्र सरकार से वतन वापसी की गुहार लगाई है. जॉर्डन में फंसे इन 120 मजदूरों में से एक बिहार के सीतामढ़ी जिले के सुप्पी प्रखंड के बभनगामा रामनगर निवासी मोहम्मद कुर्बान 16 फरवरी 2022 को जॉर्डन गए थे. वहीं राजेश कुमार 28/08/2021 को, राजू कुमार 15/08/2023 को और मोहम्मद जाकिर 30/10/2019 को और बथनाहा प्रखंड के चौधरी टोला निवासी 28 वर्षीय जुनैद बैठा 28/08/2021 को जॉर्डन गए थे. इन सभी ने वीडियो जारी कर भारत सरकार से देश वापसी की गुहार लगाई है.
इन मजदूरों के परिजन भी बहुत चिंतित हैं और उन्हें खुदाई जारी है कि उनके प्रियजनों को जल्दी से वतन लाने के लिए कदम उठाए जाएं। उन्हें डर है कि हजारों किलोमीटर दूर जॉर्डन में उनके प्रियजनों को किसी अनहोनी का सामना करना पड़ेगा।
इस मामले में अब सभी की निगाहें विदेश मंत्रालय की ओर हैं, ताकि इन फंसे मजदूरों को जल्दी से जल्दी भारत लाया जा सके। हर साल लाखों भारतीय विदेश जाकर अपने परिवारों के लिए रोजगार की तलाश में हैं, लेकिन ऐसी मुश्किल हालातों का सामना करना उनके लिए कभी-कभी मुश्किल हो जाता है। इसलिए इस मामले में त्वरित कदम उठाने की जरूरत है ताकि इन मजदूरों को जल्दी से भारत लाया जा सके और उन्हें उनके घर वापस लौटने में मदद मिले।