कैथल में इलेक्शन कमीशन का गाली देने का मामला सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से एक चिंताजनक परिस्थिति को प्रकट करता है। यह घटना न केवल व्यक्तिगत स्तर पर गलत है, बल्कि यह भी साबित करता है कि चुनावी प्रक्रिया में किसी भी तरह की बाधाओं और अव्यवस्थाओं का मुकाबला करने के लिए समाज को एकजुट होकर काम करने की जरूरत है।
आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा की गई आरोप लगभग सार्वजनिक विश्वास को चुनौती देते हैं। चुनाव आयोग के दफ्तर में अभद्र भाषा का प्रयोग करना और आवेदनों को अस्वीकार करने की प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप लगाया जाता है। इससे सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर विश्वासघात उत्पन्न होता है और लोगों का विश्वास उठ जाता है।

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी संकेत मिल रहे हैं कि कोई भी वेबसाइट हैक हो सकती है, जो चुनाव प्रक्रिया को खतरे में डाल सकता है। इससे लोगों में EVM पर भी संदेह उत्पन्न हो सकता है और चुनाव प्रक्रिया में विश्वास कम हो सकता है। ऐसी स्थिति में समाज को संघर्ष करने की आवश्यकता है और चुनाव आयोग को भी सत्यनिष्ठता और निष्पक्षता की बढ़ावा देने की जरूरत है।

इस मामले में सस्पेंड किए गए कर्मचारियों के प्रति भी न्याय की मांग की जा रही है। चुनाव आयोग और पुलिस द्वारा विस्तृत जांच करने की मांग की जा रही है ताकि अधिक से अधिक लोगों को इस मामले के वास्तविक तथ्यों की जानकारी हो सके।
चुनाव आयोग द्वारा विकसित की गई ECore वेबसाइट की मान्यता और भरोसाहीत बनाए रखने की जरूरत है। इससे न केवल चुनाव प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सकेगा, बल्कि लोगों का भी भरोसा बना रहेगा कि चुनावी प्रक्रिया सही और निष्पक्ष तरीके से संचालित हो रही है।
इस घटना से समाज को यह सन्देश मिलता है कि चुनावी प्रक्रिया में संवेदनशीलता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए सभी दलों को मिलकर काम करने की जरूरत है। इसके अलावा, जनता को भी चुनावी प्रक्रिया में सकारात्मक भागीदारी करने की आवश्यकता है ताकि वह लोकतंत्र के मूल्यों को मजबूत कर सके।