बिहार की काराकाट लोकसभा सीट पर चल रहे चुनावी दंगल में जबरदस्त हलचल मची हुई है। इस सीट पर भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार पवन सिंह का निर्दलीय चुनाव लड़ना राजनीतिक माहौल को काफी दिलचस्प बना रहा है। एनडीए गठबंधन से उपेंद्र कुशवाहा के उम्मीदवार होने के बावजूद पवन सिंह ने अपना नामांकन दाखिल कर चुनावी मैदान में कूदने का फैसला किया। यही नहीं, पवन सिंह की मां प्रतिमा देवी द्वारा भी नामांकन दाखिल करने से स्थिति और अधिक रोचक हो गई थी। हालांकि, उन्होंने शुक्रवार को अपना नामांकन वापस ले लिया।
पवन सिंह के चुनाव लड़ने से पहले ही काराकाट सीट पर बहुत ध्यान आकर्षित हो चुका था। पवन सिंह ने अपनी पहचान भोजपुरी सिनेमा में एक सफल अभिनेता और गायक के रूप में बनाई है। उनके प्रशंसकों की बड़ी संख्या होने के कारण उनका चुनाव लड़ना एक बड़ा मुद्दा बन गया। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत ने न केवल उनके समर्थकों में बल्कि राजनीतिक विश्लेषकों में भी उत्सुकता बढ़ा दी है।
पवन सिंह के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला एनडीए गठबंधन के लिए एक चुनौती साबित हो सकता है। उपेंद्र कुशवाहा, जो एनडीए के उम्मीदवार हैं, पहले ही अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। पवन सिंह के मैदान में आने से मतदाताओं का बंटवारा होने की संभावना है, जिससे चुनावी परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पवन सिंह का स्टारडम और उनकी लोकप्रियता का फायदा उन्हें मिल सकता है।
पवन सिंह की मां प्रतिमा देवी का नामांकन दाखिल करना और फिर उसे वापस लेना एक चौंकाने वाला कदम था। प्रतिमा देवी ने 14 मई को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना पर्चा दाखिल किया था। इससे अटकलें लगाई जा रही थीं कि पवन सिंह के कहने पर ही उन्होंने यह कदम उठाया था ताकि किसी अप्रत्याशित स्थिति में उनका परिवार चुनावी मैदान में बना रहे। हालांकि, शुक्रवार को प्रतिमा देवी ने अपना नामांकन वापस ले लिया, जो नामांकन वापस लेने का अंतिम दिन था। चुनाव आयोग ने उनके नामांकन वापस लेने की पुष्टि की।
पवन सिंह के चुनाव लड़ने का फैसला उस समय आया जब भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया था। पवन सिंह ने इस सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और बाद में सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर काराकाट सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया। इस निर्णय ने उनके समर्थकों को हैरान कर दिया और उन्हें काराकाट में एक नया चुनावी समीकरण बना दिया।
काराकाट लोकसभा सीट पर 1 जून को मतदान होने वाला है। इस सीट पर चुनावी माहौल हर दिन बदलता दिख रहा है। पवन सिंह अपने समर्थकों के बीच जाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं और लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। उनके समर्थक उन्हें एक नया और युवा नेतृत्व मानते हैं, जो उनकी समस्याओं को समझ सकता है और समाधान कर सकता है।
पवन सिंह का राजनीतिक सफर अभी शुरुआत में ही है, लेकिन उनकी लोकप्रियता और स्टारडम ने उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बना दिया है। हालांकि, चुनावी मैदान में सफल होना एक अलग चुनौती है, जहां उनके सामने अनुभवी और राजनीतिक रूप से परिपक्व उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा खड़े हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि पवन सिंह अपनी फिल्मी दुनिया की चमक को राजनीति के मंच पर कैसे बनाए रखते हैं और अपने समर्थकों के विश्वास को कितनी हद तक जीत पाते हैं।
इस प्रकार, काराकाट लोकसभा सीट पर चुनावी जंग बेहद रोमांचक हो गई है। पवन सिंह का चुनाव लड़ना और उनकी मां का नामांकन वापस लेना इस चुनाव को और भी ज्यादा दिलचस्प बना रहा है। यह देखना बाकी है कि पवन सिंह अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कैसे करते हैं और क्या वे इस चुनावी मुकाबले में अपने प्रतिद्वंद्वी उपेंद्र कुशवाहा को चुनौती देने में सफल हो पाते हैं या नहीं।