समंदर में डुबे हुए टाइटैनिक की कहानी और असल टाइटैनिक को देखने के लिए लाखों लोग उत्सुक हैं। दुनिया का सबसे बड़ा जहाज टाइटैनिक 10 अप्रैल 1912 को सफर पर निकला था और चार दिनों के बाद यानी 14 अप्रैल 1912 की आधी रात को वह एक आइसबर्ग से टकराकर उत्तरी अटलांटिक महासागर में डूब गया था।
करोड़ों रुपये खर्च कर गए थे समुद्र के अंदर
इस डूबे हुए टाइटैनिक को देखने के लिए लोग पनडुब्बी के जरिए समुद्र के अंदर जाते हैं। लेकिन हाल ही में ये खबर सामने आई है कि समुद्र में डूबे हुए टाइटैनिक को दिखाने ले जाने वाली पनडुब्बी अब खुद लापता हो गई है। बीबीसी ने सोमवार को यह जानकारी दी है। इस पनडुब्बी में करीब पांच लोग सवार थे। इनमें ब्रिटेनी अरबपति हामिश हार्डिंग भी शामिल हैं। इन 5 लोगों में तीन पेइंग गेस्ट, एक पायलट और एक ‘कंटेंट एक्सपर्ट’ शामिल हैं। डूबे हुए टाइटैनिक जहाज को देखने जाने के लिए हजारों डॉलर यानी करोड़ों रूपए खर्च होते हैं।
समुद्र के अंदर जाने के कुछ समय बाद ही टूट गया था संपर्क
अधिकारियों के मुताबिक, ओशनगेट एक्सपेडिशंस द्वारा संचालित 21-फुट (6।5-मीटर) पनडुब्बी रविवार को समुद्र में गई थी। इस पनडुब्बी का नाम सिफर्ट टाइटन है। लेकिन पानी के अंदर जाने के 1 घंटा 45 मिनट बाद इस पनडुब्बी से संपर्क टूट गया था। तब से ही इसे खोजने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। अमेरिका और कनाडा की नेवी फोर्स और व्यवसायिक रूप से समंदर की गहराई में जाने वाली कंपनियां इस लापता पनडुब्बी की खोज में जुटी हुई हैं।
सिर्फ 96 घंटों तक का ऑक्सीजन बचा
जानकारी के मुताबिक, अब इस लापता पनडुब्बी को खोजने के लिए बहुत कम समय है, क्योंकि उसमें सिर्फ 70 घंटों से लेकर 96 घंटों तक की ऑक्सीजन है। ऐसे में यह समय लगातार कम हो रहा है और पनडुब्बी में सवार लोगों की जान खतरे में जा रही है। बता दें टाइटैनिक के तक पहुंचने और वापस आने में करीब आठ घंटे लगते हैं।