केंद्रीय बजट देश की वित्तीय नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हर साल वित्त मंत्री द्वारा संसद में प्रस्तुत किया जाता है। इसमें सरकार की राजस्व प्राप्तियों और खर्च का विवरण होता है, साथ ही आगामी वित्तीय वर्ष के लिए नीतिगत घोषणाएं भी की जाती हैं। बजट को समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टर्म्स का ज्ञान होना आवश्यक है। आइए, इन महत्वपूर्ण टर्म्स को विस्तार से समझते हैं।
राजस्व बजट:
राजस्व बजट में सरकार की राजस्व प्राप्तियां और उसका व्यय शामिल होता है। राजस्व प्राप्तियों को दो भागों में विभाजित किया जाता है – कर राजस्व और गैर-कर राजस्व। कर राजस्व में आयकर, कॉर्पोरेट कर, उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, सेवा शुल्क आदि शामिल होते हैं। गैर-कर राजस्व में सरकार द्वारा दिए गए ऋणों पर ब्याज, निवेशों पर लाभांश आदि शामिल होते हैं।
पूंजी बजट:
पूंजी बजट में पूंजी प्राप्तियां और पूंजी भुगतान शामिल होते हैं। इसमें सरकार द्वारा राज्य सरकारों, सरकारी कंपनियों, निगमों और अन्य संस्थाओं को दिए गए ऋणों और निवेशों का विवरण होता है।
राजकोषीय घाटा:
जब सरकार की गैर-उधार प्राप्तियां उसके संपूर्ण खर्च से कम हो जाती हैं, तो उसे इस कमी को पूरा करने के लिए जनता से धन उधार लेना पड़ता है। इस स्थिति को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। राजकोषीय घाटा सरकार की वित्तीय सेहत का महत्वपूर्ण संकेतक होता है।
राजस्व घाटा:
राजस्व घाटा सरकार की राजस्व प्राप्तियों और राजस्व व्यय के बीच का अंतर होता है। यह घाटा सरकार की चालू प्राप्तियों की कमी को दर्शाता है, जिसे पूरा करने के लिए सरकार को उधार लेना पड़ता है।
प्राथमिक घाटा:
प्राथमिक घाटा राजकोषीय घाटे में से ब्याज भुगतान को घटाने के बाद का शेष होता है। यह घाटा दर्शाता है कि सरकार की उधारी का कितना हिस्सा ब्याज भुगतान के अलावा अन्य व्ययों को पूरा करने में जा रहा है।
राजकोषीय नीति:
राजकोषीय नीति सरकार की वह नीति है जिसके माध्यम से वह अपने राजस्व और व्यय के स्तरों को नियंत्रित करती है। इसे बजट के माध्यम से क्रियान्वित किया जाता है और यह सरकार के आर्थिक नीतियों का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
मौद्रिक नीति:
मौद्रिक नीति केंद्रीय बैंक (यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) द्वारा बनाई जाती है, जिसमें वह अर्थव्यवस्था में धन या तरलता के स्तर को विनियमित करता है। इसमें ब्याज दरों में बदलाव, नकद आरक्षित अनुपात आदि शामिल होते हैं।
मुद्रास्फीति:
मुद्रास्फीति सामान्य मूल्य स्तर में लगातार बढ़ोतरी को कहते हैं। मुद्रास्फीति दर मूल्य स्तर में परिवर्तन की प्रतिशत दर होती है। यह दर उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि को मापती है।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर:
प्रत्यक्ष कर वे होते हैं जो सीधे व्यक्तियों और निगमों पर लगाए जाते हैं, जैसे आयकर, कॉर्पोरेट कर आदि। अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं और सेवाओं पर लगाए जाते हैं, जैसे उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क आदि। इनका भुगतान उपभोक्ता तब करते हैं जब वे वस्तुएं और सेवाएं खरीदते हैं।
उत्पाद शुल्क:
उत्पाद शुल्क, भारत में निर्मित और घरेलू उपभोग के लिए बनाई गई वस्तुओं पर लगाया जाने वाला एक अप्रत्यक्ष कर है। इसे निर्माता द्वारा भुगतान किया जाता है लेकिन अंततः उपभोक्ता को वहन करना पड़ता है।
सीमा शुल्क:
सीमा शुल्क वे शुल्क होते हैं जो देश में माल आयात या निर्यात किए जाने पर लगाए जाते हैं। इनका भुगतान आयातक या निर्यातक द्वारा किया जाता है और अक्सर इन्हें उपभोक्ता पर भी डाला जाता है।
वित्त विधेयक:
केंद्रीय बजट की प्रस्तुति के तुरंत बाद वित्त विधेयक प्रस्तुत किया जाता है। इसमें बजट में प्रस्तावित करों को लागू करने, उन्मूलन, परिवर्तन या विनियमन का विवरण होता है।
लेखानुदान:
लेखानुदान संसद द्वारा नए वित्तीय वर्ष के एक भाग के लिए अनुमानित व्यय के संबंध में अग्रिम रूप से दिया जाने वाला अनुदान है, जो अनुदानों की मांग पर मतदान और विनियोग अधिनियम के पारित होने से संबंधित प्रक्रिया के पूरा होने तक लंबित रहता है।
अतिरिक्त अनुदान:
अगर किसी अनुदान के तहत कुल व्यय उसके मूल अनुदान और अनुपूरक अनुदान के माध्यम से अनुमत प्रावधान से अधिक है, तो अतिरिक्त व्यय को संसद से अतिरिक्त अनुदान प्राप्त करके नियमित किया जाता है।
बजट अनुमान:
आगामी वित्तीय वर्ष के लिए किसी मंत्रालय या योजना को बजट में आवंटित धनराशि बजट अनुमान कहलाती है। यह अनुमान सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए आवश्यक धनराशि का प्रतिनिधित्व करता है।
संशोधित अनुमान:
संशोधित अनुमान संभावित व्यय की मध्य-वर्ष समीक्षा होती है। इसमें व्यय की प्रवृत्ति, नई सेवाएं और सेवाओं के नए साधन आदि को ध्यान में रखा जाता है। संशोधित अनुमान संसद द्वारा मतदान नहीं किए जाते हैं, लेकिन व्यय के लिए अधिकृत किए जाते हैं।
पुनर्विनियोजन:पुनर्विनियोजन सरकार को एक ही अनुदान के भीतर एक उप-शीर्ष से दूसरे में प्रावधानों को पुनर्विनियोजित करने की अनुमति देता है। इसे सक्षम प्राधिकारी द्वारा वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले मंजूरी दी जा सकती है।
आर्थिक सर्वेक्षण क्या है
आर्थिक सर्वेक्षण देश की आर्थिक प्रगति का वार्षिक अवलोकन प्रदान करता है, महत्वपूर्ण चुनौतियों पर प्रकाश डालता है। साथ ही संभावित समाधान सुझाता है। इस वर्ष का सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंथा नागेश्वरन के मार्गदर्शन में तैयार किया जा रहा है।
ये सभी टर्म्स बजट को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इनकी जानकारी से हमें बजट के प्रावधानों और सरकार की आर्थिक नीतियों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है। केंद्रीय बजट न केवल सरकार की वित्तीय स्थिति का प्रतिबिंब होता है, बल्कि यह देश की आर्थिक दिशा को भी निर्धारित करता है। इसलिए, बजट से जुड़े इन टर्म्स का ज्ञान हर नागरिक के लिए जरूरी है।