म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय पर अत्याचार की खबरें बार-बार सामने आती रही हैं, लेकिन हाल ही में जो घटनाएं सामने आई हैं, उन्होंने मानवता को झकझोर कर रख दिया है। रोहिंग्याओं के सिर कलम किए जाने और उनके गांवों में आगजनी की खबरें आने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार की सेना और संबंधित जातीय सशस्त्र समूहों की कड़ी निंदा की है।
संयुक्त राष्ट्र की कड़ी प्रतिक्रिया
जिनेवा में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की प्रवक्ता लिज थ्रोसेल ने म्यांमार के रखाइन प्रांत में जारी हिंसा पर गहरा चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “हमें म्यांमार के रखाइन प्रांत से दिल दहलाने और परेशान करने वाली खबरें मिल रही हैं, जो वहां जारी हिंसा के कारण लोगों के जानमाल के संकट की स्थिति को दर्शाती हैं।” उन्होंने रोहिंग्या नागरिकों की हत्या, उनकी संपत्ति को जलाने, और सिर कलम करने जैसी गंभीर घटनाओं का हवाला दिया।
हिंसा का विस्तार
थ्रोसेल ने बताया कि बुथिदाउंग शहर में आगजनी, हवाई हमले, निहत्थे ग्रामीणों पर गोलीबारी, और सिर कलम करने की घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं के कारण हजारों लोग बेघर हो गए हैं। उपग्रह की तस्वीरों, लोगों के बयानों, और ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ है कि म्यांमार की सेना और अराकान सेना द्वारा रोहिंग्या नागरिकों पर हमले किए गए हैं।
म्यांमार की सेना पर आरोप
म्यांमार की सेना और अराकान सेना, जो रखाइन जातीय अल्पसंख्यक समूह के लड़ाकों की सेना है, दोनों पर रोहिंग्या नागरिकों पर ताजा हमले करने का आरोप है। अराकान सेना की राजनीतिक शाखा ‘यूनाइटेड लीग ऑफ अराकान’ ने एक बयान जारी कर कहा कि युद्ध क्षेत्र में मौजूद नागरिकों ने उनकी सेना के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में शरण ली थी और वे उनकी सुरक्षा और देखभाल के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, रोहिंग्या कार्यकर्ताओं ने मौजूदा हिंसा के लिए अराकान सेना को जिम्मेदार ठहराया है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र के अलावा, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भी म्यांमार में हो रही इन घटनाओं की कड़ी निंदा की है। विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने भी इस मुद्दे को उठाया है और म्यांमार की सरकार से इन हिंसक घटनाओं को रोकने की मांग की है।
म्यांमार की प्रतिक्रिया
म्यांमार की सरकार और सेना ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वे केवल आतंकवादी गतिविधियों का मुकाबला कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि रोहिंग्या आतंकवादी समूहों द्वारा हिंसा फैलाने के प्रयासों को विफल करने के लिए ये कार्रवाइयाँ की गई हैं। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि यह सरकार का केवल एक बहाना है और वास्तव में यह रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ व्यवस्थित नस्लीय सफाई का हिस्सा है।
म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या समुदाय पर हो रहे अत्याचारों ने एक बार फिर से मानवता को शर्मसार कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र की कड़ी निंदा और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की तीखी प्रतिक्रिया के बावजूद, म्यांमार की सरकार और सेना पर इसका कितना असर पड़ेगा, यह अभी देखना बाकी है।
रोहिंग्या संकट एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है, जिसे केवल अंतर्राष्ट्रीय दबाव और दीर्घकालिक शांति प्रयासों के माध्यम से ही हल किया जा सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय म्यांमार पर दबाव बनाए रखे और रोहिंग्या समुदाय की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए। रोहिंग्या समुदाय को न्याय और सम्मान तभी मिल सकता है जब म्यांमार की सरकार और सेना उनके खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएंगे और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करेंगे।