कोठारी बंधु, जिनकी बहन को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए भेजा गया था, उनका योगदान राम मंदिर आंदोलन के इतिहास में महत्वपूर्ण है। 2 नवंबर 1990 को, इन बंधुओं को सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर ने गोली मारकर बलिदान कर दिया था।
22 जनवरी 2024 को पूरे देश में रामभक्तों के लिए बड़ी खुशी का दिन होगा, जब अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होगा। इस महत्वपूर्ण समारोह में शामिल होने के लिए, प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आयोजकों ने कोठारी बंधुओं की बहन पूर्णिमा को भी बुलावा भेजा था।
हालांकि, बहन पूर्णिमा ने निमंत्रण पत्र प्राप्त होने पर जताया कि उन्हें नहीं चाहिए कि इस कार्यक्रम के लिए सपा के किसी नेता को आमंत्रित किया जाए, क्योंकि उनके दोनों भाइयाँ पुलिस की गोली से मारे गए थे। इससे पहले उन्होंने अपनी सरकार में ही अपने भाइयों की बलिदान दान की थीं।
कोलकाता के रहने वाले शरदकुमार और रामकुमार दोनों सगे भाई थे, जिनकी उम्र 20 और 22 साल थी। ये दोनों भाइयाँ आरएसएस की शाखाओं में जाते थे और दोनों ने द्वितीय वर्ष की प्रशिक्षण पूर्ण किया था। जब राम मंदिर के लिए विहिप ने आंदोलन की घोषणा की, तो इन भाइयों ने भी तय किया कि वे इस मुहिम में योगदान देंगे। इनकी जिद और उत्साह के बावजूद, उनके पिताजी इसके खिलाफ थे क्योंकि उनकी बहन की शादी भी उसी समय थी। हालांकि, इन दोनों भाइयों ने अपनी जिद पर अपने पिताजी को भी राजी कर लिया और वे योजना बनाने के लिए निकल पड़े।
तब, इन दोनों भाइयों ने कोलकाता से अयोध्या जाने का निर्णय लिया और इसके लिए वे ट्रेन से बनारस तक पहुंचे। वहां से आगे ट्रेनें बंद थीं, लेकिन इसने उन्हें रोका नहीं और वे अयोध्या पैदल ही पहुंचे। इस पैदल यात्रा में वे लगभग 300 किलोमीटर तक चले गए और 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचे। वहां पहुंचकर, उन्होंने पहले शख्स बनकर राम मंदिर पर भगवा पताका फहराया, लेकिन सीआरपीएफ के जवानों ने उन्हें नीचे उतार दिया। इसके बाद दोनों भाई एक घर में छिप गए, लेकिन वहां से भी इंस्पेक्टर ने शरद को बाहर निकाला और उसे मार दी गई। इसके बाद रामकुमार को भी गोलियों से भून दिया गया और दोनों ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।
इन भाइयों के नाम पर अयोध्या में एक सड़क का नामकरण भी किया गया है और उनकी श्रद्धांजलि के रूप में उनकी याद में एक स्मारक भी बनाया गया है।
इस प्रकार, कोठारी बंधुओं ने अपने बलिदान से राम मंदिर आंदोलन को महत्वपूर्ण रूप से योगदान दिया और उनकी प्रेरणा ने अनेकों को सकारात्मक दिशा में प्रेरित किया।