एक बच्चा माता-पिता की जान से भी बढ़कर होता है। लोग अपने बच्चे के लिए जान तक कुर्बान कर देते हैं। सिर्फ तो माता-पिता को भगवान का दर्जा दिया जाता है। लेकिन क्या आप इस बात पर यकीन कर पाएंगे कि कोई माता-पिता अपने बच्चे को ही दान कर दिया और वो भी एक साधु को। आइए जानते हैं पूरा मामला।
साधुओं के साथ भिक्षा मांग रहा था बच्चा
ये मामला सामने आया है हरियाणा के हिसार के हांसी में गांव सिसाय से, जहां एक क्रूर माँ-बाप ने अपने कलेजे के टुकड़े को ही साधुओं के डेरे में दान कर दिया। ये घटना बाबा चांदपुरी श्री श्री 1008 महाराज के डेरे की है। ये छोटा सा बच्चा साधुओं के साथ साधु के भेष में रह कर भिक्षा मांगता था। जानकारी के मुताबिक, वह बच्चा एक सोमवार गिरी नामक महाराज के साथ रह रहा था। जब सोमवार गिरी महाराज से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, ‘साधुओं ने बच्चे का नामकरण भी किया है। अब बच्चे को शंकर गिरी का नाम दिया गया है। उसका पहले आमीर नाम था।’
साढ़े 5 साल की कच्ची उम्र में बच्चे को किया दान
जानकारी के मुताबिक, जब ये बच्चा साढ़े 5 साल का था, तब उसके माता-पिता ने उसे कनोह गांव में स्थित उसे डेरे में दान दे दिया था। तब से वो बच्चा उनके साथ ही रह रहा है। किसी ने बच्चे को देखकर पुलिस में इसकी जानकारी दी। इसके बाद पुलिस जांच के लिए सिसाय पहुंची। उनके साथ जुवेनाइल ऑफिसर भी मौजूद थे। फिर बच्चे का मेडिकल टेस्ट करवाकर उसे हिसार में सीडब्ल्यूसी के सामने पेश किया गया। इसके बाद वहां उसके परिजनों को बुलाया। बता दें मंदिर में किसी बच्चे या व्यक्ति को दान करने का कोई कानून हमारे देश में नहीं है। यदि कोई ऐसा करता है तो ये जुवेनाइल जस्टिस एक्ट व चाइल्ड एक्ट के अलावा भारतीय दंड संहिता के तहत भी जुर्म है।