भारतीय संसद का मानसून सत्र हमेशा से ही चर्चाओं और विवादों का केंद्र रहा है। इस बार भी, लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद अभिषेक बनर्जी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। बजट पर चर्चा के दौरान हुए इस वाकयुद्ध ने सदन में हंगामा मचा दिया। इस लेख में हम इस घटना के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
अभिषेक बनर्जी का आक्रामक भाषण
बुधवार को बजट पर चर्चा के दौरान TMC सांसद अभिषेक बनर्जी ने सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और 2024-25 के बजट को निशाना बनाया। बनर्जी ने सत्तापक्ष के सदस्यों से कहा, “अपनी कुर्सी की पेटी बांधकर रखिए, मौसम का मिजाज बिगड़ने वाला है।” उनका यह बयान सदन में मौजूद सदस्यों के बीच तीखी प्रतिक्रिया उत्पन्न करने वाला था।
पीठासीन अधिकारी और हंगामा
जब बनर्जी बोल रहे थे, तब पीठासीन अधिकारी के रूप में दिलीप सैकिया आसीन थे। जैसे ही बनर्जी ने अपना संबोधन शुरू किया, सत्ता पक्ष और तृणमूल के सदस्य वाकयुद्ध में शामिल हो गए। हंगामा बढ़ने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला आसन पर आ गए। उन्होंने दोनों पक्षों को व्यक्तिगत टिप्पणी से बचने और संसदीय मर्यादा का पालन करने का निर्देश दिया।
कृषि कानूनों पर विवाद
अभिषेक बनर्जी ने अपने भाषण में सरकार की कथित विफलताओं का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने सदन में चर्चा किए बिना ही तीन कृषि कानून बना दिए, जिन्हें अंततः वापस लेना पड़ा। इस पर ओम बिरला ने उन्हें टोका और कहा कि सदन में साढ़े पांच घंटे की चर्चा हुई थी। लेकिन बनर्जी ने जोर देकर कहा कि संबंधित विधेयक पर कोई चर्चा नहीं हुई थी, जिससे सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।
अध्यक्ष ओम बिरला की प्रतिक्रिया
ओम बिरला ने हंगामे के बीच कहा, “इस रिकॉर्ड को क्लियर कर लें। इस सदन में साढ़े पांच घंटे चर्चा हुई थी।” उन्होंने आगे कहा, “जब अध्यक्ष बोलता है, तो बोलता है और वह सही बोलता है। आप अपने आप को ठीक करो। मैं जब बोल रहा हूं, तो मैं कभी गलत नहीं बोल सकता।” इस पर बनर्जी ने कहा कि जब सदन में लोग ताली बजा रहे हैं, तो 700 किसान मारे गए थे। क्या एक मिनट के लिए खड़े होकर उनको श्रद्धांजलि दी गई? इस बयान पर एक बार फिर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा किया।
अन्य मुद्दों पर चर्चा
अभिषेक बनर्जी ने 2016 में की गई नोटबंदी और कोरोना काल में हुए लॉकडाउन का भी जिक्र किया। उन्होंने आरोप लगाया कि अनियोजित फैसलों से प्रधानमंत्री ने पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दिया। इस पर अध्यक्ष ओम बिरला ने कटाक्ष करते हुए कहा, “वर्ष 2016 के बाद 2 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। आप बजट पर बात कीजिए।” अध्यक्ष का इशारा 2019 और 2024 के आम चुनावों में BJP नीत राजग के सत्ता में आने की ओर था।
सत्ता पक्ष का हंगामा
अभिषेक बनर्जी ने जब किसी का नाम लिया, तो सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि माननीय सदस्य उन लोगों के नाम नहीं लें, जो सदन के अब सदस्य नहीं हैं। इस पर बनर्जी ने अध्यक्ष से कहा कि जब सत्तापक्ष के सदस्य पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम लेते हैं या देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का नाम लेते हैं, तो आसन उस पर कुछ नहीं बोलता। उन्होंने कहा कि इस बार की सरकार काफी नाजुक हालत में है, जो कभी भी गिर सकती है।
अभिषेक बनर्जी के तीखे बयान और लोकसभा में हुए हंगामे ने एक बार फिर से यह साबित किया कि भारतीय संसद में विचारों का टकराव और विवाद अनिवार्य हैं। संसद में इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि लोकतंत्र में हर विचार का सम्मान होना चाहिए और हर सदस्य को अपनी बात कहने का अधिकार है। हालांकि, संसदीय मर्यादा और शिष्टाचार का पालन करते हुए अपनी बात रखना ही सच्चे लोकतंत्र की पहचान है।