आज सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण मामले पर सुनवाई हो रही है, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में मिले ‘शिवलिंग’ की प्राचीनता का वैज्ञानिक सर्वे होने की मांग है। हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने ‘शिवलिंग’ की प्राचीनता की जांच के लिए एक वैज्ञानिक सर्वे की मांग की है।
वाराणसी की जिला अदालत ने पहले ही ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में पूजा करने की अनुमति दी है, और इसके बाद से हिंदू पक्ष ने इस मामले को और भी गहरा करते हुए सर्वे की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट आज इस मामले पर सुनवाई करेगा और यह निर्णय करेगा कि क्या ‘शिवलिंग’ की प्राचीनता की जाँच के लिए वैज्ञानिक सर्वे किया जाएगा या नहीं।
इसके साथ ही, हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर के सभी 10 तहखानों को भी खोलकर वहां सर्वे की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर भी आज सुनवाई करेगा, और ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की प्राचीनता की जाँच के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे, यह भी तय होगा।
जिला अदालत ने पहले ही तहखाने में पूजा करने की अनुमति देने का फैसला किया है, जिसके बाद से इस घड़ी में वहां पूजा की जा रही है और लोग भारी संख्या में वहां पहुंचे हैं। इस परिसर में हिंदू श्रद्धालुओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण घड़ी है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट का आदेश बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है।
हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने इस मामले की खिलाफत जताई है और इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस मामले के खिलाफ अपील दायर की है। हाई कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को तत्काल राहत नहीं दी है और इस मामले की अगली सुनवाई छह फरवरी को होगी। मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि वह इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे, ताकि देश में उत्पन्न होने वाले विवादों को रोका जा सके।”
हिंदू पक्ष ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट से न्याय प्राप्त करने का संकल्प किया है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में स्थित तहखाने में पूजा की अनुमति देने का फैसला ‘जल्दबाजी’ में सुनाया गया है।
इस संदर्भ में, ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने वाराणसी जिला अदालत के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील दायर की है, लेकिन हाई कोर्ट ने इस अपील पर राहत नहीं दी है। मुस्लिम संगठनों ने देश में उत्पन्न होने वाले विवादों को रोकने के लिए पूजा स्थल अधिनियम, 1991 को लागू किया जाने की मांग की है।”