लोकसभा चुनाव से पहले ही विपक्षी इंडिया गठबंधन कमजोर होता दिख रहा है। बिहार, बंगाल, में हुए खेल के बाद अब महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भी इंडिया गठबंधन को करारा झटका लगा है। जानिए पूरा गणित
लोकसभा चुनाव से पहले 5 राज्यों में हुए विधानसभा के समय विपक्षी पार्टियों ने केंद्र की बीजेपी नीत NDA की सरकार से मुकाबला करने के लिए I.N.D.I.A गठबंधन की शुरुआत की, जिसका मकसद एकजुट होकर एनडीए को लोकसभा चुनाव में हराना था। इस गठबंधन के सूत्रधार रहे बिहार के मुख्यमंत्री ने ही अब इस गठबंधन को छोड़ दिया है और अपनी अलग राह पकड़ ली है। अलग राह यानी वो जिसे हराने की बात कर रहे थे उसी एनडीए गठबंधन में मिल गए हैं और बिहार में अपनी सीएम की कुस्री सुरक्षित कर ली है। इंडिया गठबंधन की अब नींव ही कमजोर सी लगती है क्योंकि बिहार के साथ पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी ने अपनी अलग राह पकड़ी है, तो वहीं यूपी में भी BSP के दूर होने के बाद RLD के भी NDA का हाथ थामने की बातें सामने आ रही है।
एनडीए मजबूत, इंडिया कमजोर?
बिहार-बंगाल-UP के बाद महाराष्ट्र में भी विपक्षी गठबंधन में कोई खास मजबूती नहीं दिख रही क्योंकि एक तरफ तो शिवसेना दो भागों में बिखर गई तो अब वहीं NCP का पावर भी शरद पवार के हाथों से निकलकर अजित पवार को मिल गया है, जो राज्य में एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं। ऐसे में जब लोकसभा चुनाव के लिए कुछ ही माह बचे हैं और बीजेपी विजय रथ पर सवार होकर हैट्रिक लगाने के लिए तैयार है तो ऐसे में विपक्षी गठबंधन के बिखरने और कमजोर होने के बाद क्या लोकसभा चुनाव में NDA जैसे मजबूत गठबंधन को विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A, मात दे पाएगा?
बिहार में नीतीश कुमार के महागठबंधन को छोड़कर NDA में शामिल होने के बाद I.N.D.I.A गठबंधन को करारा झटका लगा लेकिन वहीं झारखंड में हेमंत सोरेन की आरेस्ट के बाद बड़ी कवायद के साथ चंपई सोरेन की सरकार बनने से I.N.D.I.A गठबंधन को थोड़ी राहत मिली तो है लेकिन हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का असर लोकसभा चुनाव में दिखेगा। यूपी में RLD के NDA में शामिल होने की खबर और NCP की कमान अजित पवार के हाथ में जाने से गठबंधन को फिर से झटका लगा है।
इस तरह से बिखरता हुआ और खुद को समेटने की कवायद करता हुआ इंडिया गठबंधन खुद को कैसे संभालेगा जब उसे पिछले 10 दिन में ही चार बड़े झटके लग चुके हैं और बीजेपी नीत एनडीए को इससे बड़ा फायदा होता दिख रहा है।बिहार-बंगाल-महाराष्ट्र-झारखंड और यूपी की बात करें तो इन पांचो राज्यों में लोकसभा की 200 से ज्यादा सीटें हैं और पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में विपक्षी पार्यियों ने अलग-अलग लड़कर अपनी ताकत देख ली है।
इतना ही नहीं, अयोध्या के भव्य राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा ने भी बीजेपी नीत एनडीए को बड़ी ताकत दी है और विपक्षी पार्टियों ने खुद को इस समारोह से दूर करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। इन सबका असर और गुणा-भाग की बात करें तो भाजपा का विजयी रथ लोकसभा चुनाव में तीसरी बार भी PM मोदी की जीत को सुनिश्चित करता दिख रहा है।
चार बड़े राज्यों में गड़बड़ा सकता है ‘इंडिया’ का गणित
ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने ऐलान किया है और कांग्रेस को लेकर उनकी अनबन जगजाहिर होती दिख रही है। ऐसे में राज्य की 42 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ममता का फैसला I.N.D.I.A गठबंधन की एकजुटता पर सीधा प्रहार है और ममता और कांग्रेस की दूरी भाजपा के लिए खुशी की बात है।
बिहार की बात करें तो वहां विपक्षी इंडिया गठबंधन को नीतीश ने ही करारा झटका दिया है जिससे विपक्षी गठबंधन कमजोर हुआ है और राज्य की लोकसभा की 40 सीटों के गुणा-भाग में इसका सीधा फायदा बीजेपी को होता दिख रहा है। हालांकि लालू ने विपक्षी एकता को मजबूती से पकड़ रखा है तो यहां का गणित लोकसभा चुनाव में जो भी हो 2025 में विधानसभा चुनाव में खुलकर सामने आ सकता है।
महाराष्ट्र में चुनाव आयोग ने अजित पावर गुट को असली एनसीपी करार दिया है और इधर उद्धव ठाकरे के भी सुर बदलते दिख रहे हैं। वे पीएम मोदी को अपना दोस्त बता रहे हैं, बार-बार कह रहे हैं कि हम दुश्न नहीं आपके दोस्त थे और हैं। आपने ही हमें छोड़ दिया है। ऐसे में शिवसेना की टूट और फिर उद्धव के बदले सुर फिर एनसीपी की कमान अजित गुट के हाथ में जाने से एनडीए को फायदा मिला है और महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर विपक्षी गठबंधन का गणित बिगड़ सकता है।
उत्तर प्रदेश की बात करें तो राज्य में जहां बसपा की मायावती ने विपक्षी गठबंधन से दूरी बना रखी है तो वहीं आरएलडी यानी जयंत चौधरी की पार्टी के बीजेपी के साथ जाने के कयास लग रहे हैं, अगर ऐसा तोता है तो यहां की भी 80 सीटों के लिए विपक्ष का गणित बिगड़ सकता है। यहां भी सपा और कांग्रेस के बीच तालमेल और सीटों को लेकर क्या गणित रहेगा और विपक्षी गठबंधन राज्य में कौन-सा करवट लेगा ये संभावित है।
किसे कितना होगा फायदा?
एक तरफ जहां रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम से पहले पीएम मोदी दक्षिण के राज्यों में गए थे जहां भाजपा का कोई खास जनाधार नहीं है। दक्षिणी राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हैं और कांग्रेस की स्थिति भी ठीक है। वहां पीएम का जाना और लोगों से संवाद करना और पीएम मोदी की एक झलक पाने के लिए उमड़ी भीड़ से पता चलता है पीएम मोदी की छवि विशाल है और मोदी के नाम पर एनडीए की नैया पार लग सकती है। वही बिहार-यूपी, बंगाल और झारखंड के साथ ही महाराष्ट्र में भी PM मोदी का जादू दिख सकता है।
वहीं कांग्रेस जो अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है, पांच राज्यों के लिए हुए विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में मिली हार के बाद विपक्षी गठबंधन को मजबूत बनाने की हर कवायद कर रही है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा में मशगूल हैं, लोगों से मिल रहे हैं उनके काफिले में भी भीड़ उमड़ रही है। बिहार-बंगाल के बाद अब यूपी में उनकी न्याय यात्रा पहुंचने वाली है। इन राज्यों में भी क्षेत्रीय पार्टियों को दबदबा है और राहुल की इस न्याय यात्रा से विपक्षी गठबंधन कितना मजबूत होगा और लोकसभा चुनाव में उसे कितना लाभ होगा ये तो लोकसभा चुनाव का परिणाम ही बताएगा।