बिहार की राजनीति में हमेशा से ही उथल-पुथल रही है, और अब इस राजनीति के केंद्र में जन सुराज पदयात्रा कर रहे प्रशांत किशोर (पीके) ने एक बार फिर से एनडीए, खासकर बीजेपी और नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। प्रशांत किशोर ने सीधे-सीधे आरोप लगाते हुए कहा है कि बीजेपी नीतीश कुमार से डर रही है और इसी कारण नीतीश कुमार ने अपनी शर्तों पर बीजेपी के साथ कई समझौते करवाए हैं।
नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी का मामला
प्रशांत किशोर ने अपने बयान में विशेष रूप से बिहार के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने सम्राट चौधरी का मुरेठा खुलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह घटना बताती है कि नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक चालों में कितने चतुर हैं। उन्होंने बीजेपी को मजबूर कर दिया कि वे उनके हिसाब से संगठनात्मक फेरबदल करें।
बीजेपी के साथ 15 साल की गठबंधन
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार 15 साल से बीजेपी के साथ गठबंधन में हैं और इस दौरान दोनों ने मिलकर बिहार को सुधारने की कोशिश की। बीजेपी पिछले 10 साल से केंद्र में सत्ता में है, लेकिन बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल पाया। प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने अपने निजी लाभ के लिए ही बीजेपी से समझौते किए, न कि बिहार के विकास के लिए।
स्पेशल स्टेटस का मुद्दा
प्रशांत किशोर ने विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर भी नीतीश कुमार और बीजेपी को घेरा। उन्होंने कहा कि अगर नीतीश कुमार वास्तव में बिहार के विकास के लिए चिंतित होते, तो वे प्रधानमंत्री से बिहार के चीनी मिलों को खोलने की बात करते। प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार को कहना चाहिए था कि बिहार के हर जिले में फैक्ट्री लगाई जाएं, तभी वे बीजेपी को समर्थन देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जो बताता है कि नीतीश कुमार की प्राथमिकता बिहार का विकास नहीं, बल्कि अपनी सत्ता को बनाए रखना है।
बीजेपी और नीतीश कुमार की आपसी खींचतान
प्रशांत किशोर के बयान से यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी और नीतीश कुमार के बीच की खींचतान और असहमति कितनी गहरी है। उन्होंने कहा कि बीजेपी नीतीश कुमार के साथ रहते हुए कई महत्वपूर्ण फैसलों में कमजोर पड़ गई है। इसके चलते बीजेपी को नीतीश कुमार की शर्तों पर समझौते करने पड़े, जो पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की भूमिका
प्रशांत किशोर का यह बयान उनकी बिहार की राजनीति में मजबूत स्थिति को दर्शाता है। जन सुराज पदयात्रा के माध्यम से वे लगातार लोगों के बीच जाकर अपनी बात रख रहे हैं और अपने विरोधियों पर तीखे हमले कर रहे हैं। यह स्पष्ट है कि प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और वे इसे चुनावी मोड में भी बदलने की तैयारी कर रहे हैं।
प्रशांत किशोर के बयान ने बिहार की राजनीति में एक नई हलचल मचा दी है। उन्होंने नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच की खींचतान और असहमति को उजागर किया है। उनके आरोप बताते हैं कि नीतीश कुमार ने अपने निजी लाभ के लिए बीजेपी से समझौते किए, न कि बिहार के विकास के लिए।
बिहार की जनता को यह समझना होगा कि राजनीतिक दलों के बीच की खींचतान और असहमति किस हद तक राज्य के विकास को प्रभावित कर सकती है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पदयात्रा और उनके बयानों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार की राजनीति में आगामी चुनावों में एक नई दिशा और दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
इस सबके बीच, जनता को अपने नेताओं से यह पूछना चाहिए कि वे वास्तव में बिहार के विकास के लिए क्या कर रहे हैं और किस हद तक वे राज्य की समस्याओं को सुलझाने के लिए समर्पित हैं। प्रशांत किशोर के बयानों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार की राजनीति में सुधार की जरूरत है और इसके लिए एक सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता है जो राज्य के विकास को प्राथमिकता दे।