लद्दाख क्षेत्र में पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने ‘पश्मीना मार्च’ का आयोजन करने का ऐलान किया है, जिससे लेह के प्रशासन में डर उत्पन्न हुआ है। इस मार्च के आयोजन से जुड़ी सम्भावित उल्लंघनों की संभावना को देखते हुए धारा-144 लगाने का निर्णय लिया गया है, ताकि लोगों के संगठन का प्रभाव कम हो सके।
सोनम वांगचुक के द्वारा आयोजित ‘पश्मीना मार्च’ के उद्देश्य को समझने के लिए पहले उनकी पिछली कार्रवाई की ओर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। वह लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे हैं, और इसके लिए 21 दिनों तक भूख हड़ताल कर चुके हैं। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। अब उन्होंने 7 अप्रैल को ‘पश्मीना मार्च’ का आयोजन करने का ऐलान किया है, जिसमें लेह से लेकर चीन की सीमा तक लगभग 300 किमी की दूरी तय की गई है।

इस मार्च के आयोजन को लेकर प्रशासन ने डर जताया है, और इसके प्रभाव को कम करने के लिए धारा-144 लागू कर दी गई है। धारा-144 के तहत लोगों को संगठित रूप से एकत्रित होने से रोका गया है, ताकि किसी भी प्रकार की उल्लंघन और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों से बचा जा सके। इसके अलावा, गाड़ियों पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने की भी अनुमति नहीं होगी।
जिला मजिस्ट्रेट संतोष सुखदेव के आदेश के अनुसार, धारा-144 लगाने का मुख्य उद्देश्य शांति और सुरक्षा की सुनिश्चितता है। इस धारा के लागू होने पर किसी भी प्रकार की उल्लंघन की सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने इसे लागू करने के साथ ही लोगों को सावधान किया है कि किसी भी प्रकार का सार्वजनिक सभा, रैली, या मार्च बिना पूर्वानुमति के नहीं होगा।
इस निर्धारित धारा के विरुद्ध कदम उठाने पर सोनम वांगचुक ने प्रशासन पर कड़ा निर्देश दिया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर व्यक्त किया कि लद्दाख के लोगों को शांति और सुरक्षा के बारे में बहुत चिंता है, और अचानक प्रशासन की शांति पहल को खतरनाक माना जा रहा है।

उन्होंने अपने आंदोलन को लेकर भी अपनी अटूट संघर्षशीलता दिखाई है। उन्होंने भूख हड़ताल की और अब ‘पश्मीना मार्च’ का आयोजन किया है, जिससे उन्हें लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने में सहायता मिल सके। उनका निष्ठा और संघर्षशील मनोबल देखते हुए लोगों का भी साथ मिला है।
इसके अलावा, उनकी आंदोलन में कई सामाजिक संगठनों और लोगों का समर्थन भी मिला है, जो उनके संघर्ष को आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। उनके इस आंदोलन के माध्यम से वे लद्दाख के लोगों के हित में समर्थन का संकेत दे रहे हैं, और अपनी मांग को लेकर सरकार से सही समर्थन प्राप्त करने के लिए अपने कदम जारी रख रहे हैं।