लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पश्चिम बंगाल में राजनीतिक वातावरण गर्म हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दावा है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को सबसे बड़ी सफलता पश्चिम बंगाल में ही मिलने वाली है, जबकि ममता बनर्जी का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के आगे बीजेपी की दाल नहीं गलेगी। पश्चिम बंगाल, लोकसभा की 42 सीटों के साथ, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद देश का तीसरा सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। आइए जानते हैं कि इन चुनावों में कौन से पांच मुख्य कारक परिणाम तय करेंगे।
1. ममता बनर्जी का व्यक्तिगत करिश्मा
ममता बनर्जी का करिश्मा और उनकी जमीनी पकड़ पश्चिम बंगाल की राजनीति में अडिग है। उन्होंने कई वर्षों तक राज्य की राजनीति में अपना वर्चस्व बनाए रखा है। उनकी लोकप्रियता और जनसमर्थन उनके पक्ष में एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। ममता बनर्जी का “एकला चलो रे” का रवैया दिखाता है कि वे अकेले दम पर बीजेपी का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। तृणमूल कांग्रेस का मजबूत संगठन और ममता का व्यक्तिगत जनाधार उनके लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
2. बीजेपी की बढ़ती लोकप्रियता और संगठन
पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में अपनी जड़ें मजबूत की हैं। 2014 में सिर्फ दो सीटें जीतने के बाद, 2019 में बीजेपी ने 18 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया। सुवेंदु अधिकारी जैसे पूर्व टीएमसी नेताओं के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी की ताकत और बढ़ गई है। नंदीग्राम में ममता को हराने के बाद सुवेंदु अधिकारी बीजेपी के एक प्रमुख चेहरा बन गए हैं। बीजेपी की आक्रामक चुनावी रणनीति और मजबूत संगठनात्मक ढांचा उनकी सफलता की कुंजी हो सकता है।
3. लोकल मुद्दे और टीएमसी की नीतियां
पश्चिम बंगाल के मतदाता लोकल मुद्दों पर काफी ध्यान देते हैं। टीएमसी सरकार की नीतियों और योजनाओं का जनता पर क्या प्रभाव पड़ा है, यह चुनाव के परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ममता बनर्जी की सरकार ने कई लोकल योजनाएं शुरू की हैं, जैसे “कन्याश्री”, “रूपश्री”, “सबूज साथी”, आदि। इन योजनाओं का जनता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यदि मतदाता इन योजनाओं से संतुष्ट हैं, तो वे टीएमसी के पक्ष में वोट कर सकते हैं।
4. राष्ट्रीय मुद्दे और मोदी फैक्टर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्र सरकार की नीतियां भी चुनावी परिणामों पर असर डाल सकती हैं। मोदी सरकार की योजनाएं, जैसे उज्ज्वला योजना, जन धन योजना, और गरीब कल्याण योजना, ने गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। बीजेपी के लिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या ये राष्ट्रीय मुद्दे और योजनाएं पश्चिम बंगाल के मतदाताओं को प्रभावित कर सकती हैं।
5. चुनावी गठजोड़ और विपक्षी रणनीति
हालांकि ममता बनर्जी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि टीएमसी अकेले ही बीजेपी का मुकाबला करेगी, लेकिन अन्य विपक्षी दलों की रणनीति भी महत्वपूर्ण होगी। इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A.) के तहत 28 पार्टियों का गठजोड़ बना है, लेकिन ममता ने इसमें अपनी स्वतंत्रता बरकरार रखी है। यदि विपक्षी दल एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ रणनीति बनाते हैं, तो इससे बीजेपी को नुकसान हो सकता है।
पश्चिम बंगाल का राजनीतिक परिदृश्य इस बार काफी रोमांचक होने वाला है। ममता बनर्जी और टीएमसी की मजबूत पकड़, बीजेपी की आक्रामक रणनीति, लोकल और राष्ट्रीय मुद्दों का मिश्रण, और चुनावी गठजोड़ सभी मिलकर यह तय करेंगे कि कौन इस बार बाजी मारेगा। पीएम मोदी का दावा है कि बीजेपी की सबसे ज्यादा सीटें पश्चिम बंगाल में बढ़ने वाली हैं, जबकि ममता बनर्जी का आत्मविश्वास बताता है कि वे किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। 1 जून 2024 को होने वाले मतदान और 4 जून को आने वाले परिणाम ही बताएंगे कि बंगाल में इस बार कौन सा खेला होगा।