2024 के लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी के मास्टरस्ट्रोक ने भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। पश्चिम बंगाल में भाजपा को जहां बड़ी जीत की उम्मीद थी, वहीं ममता बनर्जी की रणनीति ने भाजपा को पहले से भी कम सीटों पर सीमित कर दिया। चुनाव परिणामों के अनुसार, टीएमसी ने 29 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को मात्र 12 और कांग्रेस को एक सीट से संतोष करना पड़ा। यह जानना दिलचस्प है कि आखिर ममता बनर्जी की वो कौन-सी चाल थी जिसने भाजपा की दाल नहीं गलने दी।
ममता बनर्जी ने इस चुनाव में महिलाओं को ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं शुरू कीं, जिनमें से ‘लक्ष्मी भंडार’ योजना ने सबसे ज्यादा असर डाला। इस योजना के तहत राज्य की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये की सहायता दी जाती है। आई-पीएसी के सह-संस्थापक और निदेशक प्रतीक जैन के अनुसार, यह योजना ममता के लिए चुनावी पासा पलटने वाली साबित हुई। राज्य में लगभग 50 प्रतिशत मतदाता महिलाएं हैं, जिनमें से करीब 2.3 करोड़ महिलाओं को इस योजना का लाभ मिला। इससे न केवल उनकी वित्तीय समस्याएं दूर हुईं, बल्कि राज्य की ग्रामीण महिलाओं का सशक्तीकरण भी हुआ।
इसके अलावा, ममता बनर्जी की अन्य महिला-केंद्रित योजनाएं जैसे ‘कन्याश्री’ और ‘सबुज साथी’ भी तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में हवा का रुख बदलने में सफल रहीं। इन योजनाओं ने विशेष रूप से बंगाल के ग्रामीण इलाकों में व्यापक प्रभाव डाला।
दूसरी ओर, भाजपा का प्रचार अभियान महिला केंद्रित होने के बावजूद वोटरों को आकर्षित नहीं कर पाया। प्रतीक जैन के अनुसार, भाजपा का प्रचार अभियान मोटे तौर पर नकारात्मक था और संदेश खाली के ईर्द-गिर्द सिमटा हुआ था। जब स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो सामने आया, तो भाजपा के दावे की पोल खुल गई और यह उनके ताबूत में आखिरी कील साबित हुई।
भाजपा ने उम्मीदवारों के चयन में भी गलती की। जैन ने कहा कि जब भाजपा ने अपनी सूची जारी की, तो वे हैरान रह गए। दिलीप घोष को बर्धमान-दुर्गापुर में शिफ्ट करने से न केवल पार्टी को वह सीट गंवानी पड़ी, बल्कि दो अतिरिक्त सीटें भी गंवानी पड़ीं – मेदिनीपुर की, जहां से घोष सांसद थे, और आसनसोल की, जहां मेदिनीपुर में घोष की जगह लेने वाली अग्निमित्रा पॉल के पास लड़ने का मौका था।
एग्जिट पोल से घबराए जैन ने कहा कि उन्होंने खुद से सवाल करना शुरू किया और सोचा कि उन्होंने क्या गलती की है। हालांकि, आई-पीएसी के आंतरिक आकलन के अनुसार तृणमूल कांग्रेस के कम से कम 23 सीटों पर जीतने की संभावना थी।
जनवरी 2024 में अयोध्या में राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद भाजपा ने अपनी रणनीति पर फिर से काम करना शुरू किया, क्योंकि एक आंतरिक सर्वे में सामने आया कि इस समारोह की वजह से बंगाल में भाजपा के पक्ष में पांच प्रतिशत और वोट जा सकते हैं। लेकिन ममता बनर्जी की योजनाओं और रणनीतियों ने भाजपा की इस संभावना को भी कम कर दिया।
इस चुनावी परिदृश्य ने स्पष्ट किया कि ममता बनर्जी ने महिलाओं को सशक्त बनाने वाली योजनाओं और सकारात्मक संदेशों के माध्यम से अपनी पकड़ मजबूत बनाई। उन्होंने न केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को राहत दी, बल्कि ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के जीवन स्तर को भी ऊंचा उठाया।
भाजपा की असफलता का एक और कारण था कि उन्होंने ममता बनर्जी की लोकप्रियता और उनकी योजनाओं के प्रभाव को कम आंका। ममता बनर्जी ने जिस तरह से महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं लागू कीं और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए, वह बंगाल के मतदाताओं के दिलों को जीतने में कामयाब रहीं।
इस प्रकार, ममता बनर्जी की रणनीति और योजनाएं, विशेषकर ‘लक्ष्मी भंडार’, ‘कन्याश्री’ और ‘सबुज साथी’, ने तृणमूल कांग्रेस को एक मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया। भाजपा के नकारात्मक प्रचार अभियान और गलत उम्मीदवार चयन ने उनकी संभावनाओं को और भी कमजोर कर दिया। चुनाव परिणामों ने स्पष्ट कर दिया कि ममता बनर्जी की योजनाओं और सकारात्मक संदेशों ने बंगाल के मतदाताओं के दिलों में जगह बनाई और उन्हें भाजपा के मुकाबले एक महत्वपूर्ण बढ़त दिलाई।