लोकसभा चुनाव के नजदीक आते हुए भारतीय राजनीति में एक नया मुद्दा उभरा है, जो ‘पकौड़ा पॉलिटिक्स’ के रूप में जाना जा रहा है। दिल्ली में हाल ही में हुई एक घटना ने इस नए रूप की शुरुआत की है, जिसमें एक PHD होल्डर महिला ने कांग्रेस पार्टी के दफ्तर में पकौड़े तलने की शुरुआत की है। इस घटना के पीछे कई मुद्दे छिपे हैं, जिन्हें सामाजिक न्याय की दृष्टि से समझना महत्वपूर्ण है।
डॉ. रितु सिंह, जो दिल्ली यूनिवर्सिटी के दौलतराम कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थीं, ने कहा कि उन्हें दलित होने के कारण अन्याय का सामना करना पड़ा और उन्हें नौकरी से हटा दिया गया। इसके बाद, उन्होंने पकौड़े तलना शुरू किया। ‘PHD पकौड़ेवाली’ के नाम से वो कांग्रेस के मुख्यालय में अपना स्टॉल संभाल रही हैं।
डॉ. रितु का कहना है कि वे सारे विपक्षी दलों के पास अपना दर्द सुनाने जा रही हैं और कांग्रेस ने उनके लिए दरवाजे खोल दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पकौड़ा पॉलिटिक्स में राजनीति का कोई अंश नहीं है, बल्कि वे एक सामाजिक मूवमेंट का हिस्सा हैं। उनके अनुसार, भारत में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बातें तो की जाती हैं, लेकिन बेटियों को न्याय नहीं मिल रहा है।
कांग्रेस ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और इसे अपने लाभ में उठाने का प्रयास किया है। अल्का लांबा, दिल्ली महिला कांग्रेस अध्यक्ष, ने मीडिया के सामने मोदी सरकार को लक्ष्य बनाते हुए कहा कि ‘प्रधानमंत्री के राज में बेटी पढ़ लिख गई है और फिर पकौड़े तलने भेज दी गई है। एक दलित बेटी को न्याय नहीं मिला।’
इस मुद्दे को और भी गंभीर बनाने के लिए, कांग्रेस ने डॉ. रितु सिंह के साथ उनकी न्याय के लिए लड़ाई लड़ने का वादा किया है। उन्होंने उनके खिलाफ किए गए अन्याय के खिलाफ लड़ने का आश्वासन दिया है और उनका साथ दिया है।
यह घटना सामाजिक न्याय और समाज में समानता के मुद्दे को उठाती है। डॉ. रितु सिंह जैसे लोगों को उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए समर्थन देना हम सभी की जिम्मेदारी है। उनकी योगदान को महत्वपूर्ण बनाने के लिए, हमें साथ मिलकर समाज में जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ लड़ना होगा। यह सिर्फ एक व्यक्ति की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है जो समानता और न्याय की ओर बढ़ाता है।
अंत में, यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी डॉ. रितु सिंह जैसे वीर योद्धाओं का समर्थन करें और उनके साथ खड़े होकर समाज में परिवर्तन लाने का प्रयास करें। न्याय और समानता के मामले में हमें आगे बढ़ना होगा और सभी को उनके अधिकारों की रक्षा करने का सहयोग करना होगा। यही हमारे समाज की सच्ची प्रगति का मार्ग होगा।