बांग्लादेश में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की मुखिया बनने के बाद मोहम्मद यूनुस को अदालत से मिली राहत के बाद अब बारी है भारत की वित्तीय बाजार नियामक संस्था सेबी की। हाल ही में सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर हिंडनबर्ग रिसर्च ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इन आरोपों में सेबी चीफ और अडानी ग्रुप के बीच कथित व्यापारिक संबंधों का जिक्र किया गया है। इसके जवाब में माधबी पुरी बुच ने अपना पक्ष रखा, लेकिन हिंडनबर्ग ने उनकी सफाई को खारिज करते हुए नए सवाल खड़े किए हैं।
माधबी पुरी बुच और उनके पति पर लगे आरोप
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच का अडानी ग्रुप के साथ कथित व्यापारिक संबंध है। यह आरोप न केवल सेबी चीफ की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि उनके पति के साथ जुड़ी कंपनियों के व्यापारिक लेनदेन पर भी संदेह उत्पन्न करता है। हिंडनबर्ग ने दावा किया कि बुच दंपत्ति ने अडानी ग्रुप से जुड़े फंड में निवेश किया था, जो कि 2015 में हुआ था, जब माधबी पुरी बुच सिंगापुर में प्राइवेट रेजिडेंट के तौर पर रह रही थीं।
बुच की सफाई और हिंडनबर्ग की प्रतिक्रिया
माधबी पुरी बुच ने अपने बयान में साफ किया कि उनके पति द्वारा किए गए निवेश का निर्णय चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर अनिल आहूजा की उपस्थिति से प्रभावित था, जो धवल बुच के बचपन के दोस्त हैं। अनिल आहूजा एक अनुभवी निवेशक थे और उन्होंने सिटीबैंक, जेपी मॉर्गन, और 3i ग्रुप पीएलसी जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों में काम किया था। बुच के अनुसार, उनके फंड ने कभी भी अडानी ग्रुप के किसी भी बॉन्ड, इक्विटी, या डेरिवेटिव में निवेश नहीं किया।
हालांकि, हिंडनबर्ग ने बुच की इस सफाई को खारिज करते हुए कहा कि उनके बयान में कई अहम स्वीकारोक्ति शामिल थीं, जो नए सवाल खड़े करते हैं। हिंडनबर्ग के अनुसार, बुच ने सार्वजनिक रूप से ‘अज्ञात’ बरमूडा / मॉरीशस फंड स्ट्रक्चर में निवेश की पुष्टि की, जो कथित तौर पर विनोद अडानी द्वारा निकाले गए फंड से जुड़ा था।
संभावित हितों का टकराव
हिंडनबर्ग ने यह भी दावा किया कि सेबी को अडानी ग्रुप से जुड़े निवेश फंड की जांच का जिम्मा सौंपा गया था, जिसमें वे फंड भी शामिल हो सकते हैं जिनमें खुद बुच ने निवेश किया था। यह स्थिति संभावित हितों के टकराव को जन्म देती है। इसके अलावा, हिंडनबर्ग ने यह भी आरोप लगाया कि माधबी पुरी बुच ने 2017 में सेबी में नियुक्ति के बाद भारत और सिंगापुर में शुरू की गई उनकी दोनों कंसल्टिंग फर्मों को बंद कर दिया था, लेकिन उनके पति ने 2019 में इन कंपनियों का कामकाज संभाल लिया था।
पर्सनल ईमेल का उपयोग और अन्य आरोप
हिंडनबर्ग ने यह भी दावा किया कि माधबी पुरी बुच की भारत में एक कंपनी अगोरा एडवाइजरी लिमिटेड में 99% हिस्सेदारी है, जो अभी भी सक्रिय है और कंसल्टेंसी से कमाई कर रही है। सिंगापुर की कंपनी, अगोरा पार्टनर्स सिंगापुर भी 16 मार्च, 2022 तक पूरी तरह बुच के स्वामित्व में थी। इसके अलावा, हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि माधबी पुरी बुच ने सेबी में रहते हुए अपने पति के नाम से कारोबार चलाने के लिए अपने पर्सनल ईमेल का उपयोग किया।
अडानी ग्रुप से जुड़ी लेनदेन का मामला
हिंडनबर्ग के आरोपों में यह भी दावा किया गया कि 2017 में सेबी के होलटाइम मेंबर के रूप में नियुक्ति से कुछ हफ्ते पहले माधबी पुरी बुच ने अडानी ग्रुप से जुड़े अकाउंट को केवल अपने पति के नाम पर रजिस्टर्ड किया था। कंपनी ने एक प्राइवेट ईमेल का भी जिक्र किया, जिसमें कथित तौर पर बुच ने सेबी में उनके कार्यकाल के एक साल बाद अपने पति के नाम से फंड में हिस्सेदारी को रिडीम किया था।
हिंडनबर्ग के आरोप और माधबी पुरी बुच की सफाई के बीच खड़ा यह विवाद अब और भी गहरा होता जा रहा है। जहां एक ओर सेबी चीफ अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर हिंडनबर्ग लगातार नए सवाल खड़े कर रहा है। यह मामला न केवल सेबी की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि भारतीय वित्तीय बाजार की साख पर भी असर डाल सकता है। आने वाले समय में इस विवाद के और भी नए पहलू सामने आ सकते हैं, जिससे भारत की वित्तीय और न्यायिक प्रणाली पर भी असर पड़ सकता है।