भाजपा के गढ़ में होने वाला यह चुनाव बड़े रोमांचक और सुस्पष्ट है. सीतासरन शर्मा, जो कि अब तक यहां की जीतों का सिरसमा रख रहे हैं, इस बार अपने सगे भाई, गिरिजा शंकर शर्मा, के साथ मुकाबला करेंगे. इससे पहले भाजपा ने अपने विधायक सीतासरन शर्मा को पुनः प्रतिष्ठान में लाने का निर्णय लिया है, जबकि कांग्रेस ने उनके सगे भाई गिरिजा शंकर शर्मा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है.
यह चुनौती दोनों दलों के लिए है, और होशंगाबाद में सत्ता का मुकाबला गंभीरता से होगा. गिरिजा शंकर शर्मा ने पहले भाजपा से दो बार विधायक रहा है, लेकिन इस बार उन्होंने भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया है. कांग्रेस ने उन्हें बड़ी इज्जत और समर्थन दिया है और होशंगाबाद से उम्मीदवार बनाए जाने का निर्णय लिया है.
इस चुनाव में शर्मा परिवार का कांग्रेस और भाजपा दोनों के खिलाफ उतरना, होशंगाबाद की राजनीति में एक नया ट्विस्ट लाएगा. दोनों ही दलों के प्रति जनप्रियता, उम्मीदवारों की चरित्र और उनके चुनावी अग्रगमन पर इस बार का नतीजा निर्भर करेगा. होशंगाबाद के नागरिकों को अब देखना होगा कि कौन होगा इस सीट पर कब्जा करने वाला और किस पार्टी को मिलेगा यह गर्व का मौका.
इस चुनाव से पहले सीतासरन और गिरिजा शंकर शर्मा ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनके प्रचार-प्रसार और चुनावी रैलियों की शुरुआत से यह स्पष्ट है कि यह चुनौती सीरियस है और उन दोनों के बीच एक महायुद्ध होने वाला है.
आखिरी नतीजे का इंतजार अब सभी को है, और होशंगाबाद सीट पर होने वाले इस रोमांचक चुनाव से जुड़ी सभी ताजगीयों को जानकर बहुत दिनों तक रुचिरूपी रह सकती हैं.