मणिपुर में मोबाइल इंटरनेट पर लगाए गए प्रतिबंध का अधिकतम समय बढ़ाकर प्रशासन ने सामाजिक मीडिया का इस्तेमाल करने वाले असामाजिक तत्वों के हानिकारक संदेशों को रोकने का एक और कदम उठाया है। इस प्रतिबंध को मंगलवार को पांच नवंबर तक बढ़ा दिया गया है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने हाल ही में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए संकेत दिया था कि प्रतिबंध को वापस लेने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद इंफाल में प्रतिबंध को पुनः लागू कर दिया गया है। गृह विभाग ने पांच दिनों के लिए मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध को बढ़ा |
दिया है। सरकार ने यह निर्णय लेते हुए कहा कि कुछ असामाजिक तत्व सोशल मीडिया पर भड़काने वाले संदेशों, फोटों और वीडियो को फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे लोगों की भावनाओं को उत्तेजित किया जा सकता है। इसके चलते सुरक्षा के परिस्थितियों को मजबूती से बनाए रखने के लिए मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध को फिर से लागू किया गया है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने पिछले सप्ताह सरकारी समारोह में अपने नागरिकों, विशेषकर छात्रों और युवाओं से धैर्य रखने की अपील की थी।
इसके बावजूद, सुरक्षा बलों के साथ छात्रों के बीच झड़प का समाचार सामने आने के बाद इस प्रतिबंध को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। पिछले महीने भी छात्रों के आंदोलन के दौरान मणिपुर सरकार ने पहले 143 दिनों के बाद प्रतिबंध हटाया था, लेकिन इसके बाद सोशल मीडिया पर एक लड़की सहित दो लापता युवाओं के शवों की तस्वीरें सामने आने के बाद सुरक्षा बलों के साथ हुई झड़प के बाद मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध को पुनः लागू किया गया था। गृह आयुक्त टी. रणजीत सिंह की अधिसूचना में कहा गया है कि असामाजिक तत्वों की शक्ति का इस्तेमाल करके वे सोशल मीडिया पर भड़काने वाले संदेशों की आशंका कर रहे हैं, जिससे लोगों की भावनाओं को उत्तेजित किया जा सकता है।
इस चरण से सुरक्षा के परिस्थितियों को मजबूती से बनाए रखने के लिए मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध को बढ़ा दिया गया है। इस नए प्रतिबंध के चलते राज्य में इंटरनेट सेवाओं का संपूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिससे लोग सोशल मीडिया, ऑनलाइन संवाद और अन्य इंटरनेट उपयोगों से वंचित हो रहे हैं। यह निर्णय सुरक्षा में सुधार के लिए किया गया है, लेकिन इससे सामाजिक मीडिया का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है। मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध के बारे में विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, जहां कुछ लोग इसे सुरक्षा के लिए आवश्यक एक कदम मान रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे स्वतंत्रता का हनन मान रहे हैं। इसमें सामाजिक मीडिया पर भी विवाद चिरपिंगा है।