मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जरांगे पाटिल के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। यह वारंट 11 साल पुराने धोखाधड़ी के मामले से जुड़ा है। जरांगे पाटिल ने इसे सरकार की साजिश बताया है और अपने समर्थकों से अपील की है कि यदि उन्हें जेल भेजा जाता है, तो वे आगामी विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्षी पार्टी के उम्मीदवारों को हराने के लिए हरसंभव प्रयास करें। आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं।
गिरफ्तारी वारंट का मामला
पुणे के मजिस्ट्रेट ए.सी. बिराजदार ने शिवबा संगठन के नेता मनोज जरांगे पाटिल के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया है। यह वारंट 2013 के धोखाधड़ी के मामले से संबंधित है। पुणे के कोथरुड थाने के अधिकारियों ने बताया कि वारंट मंगलवार को जरांगे पाटिल और उनके दो सहयोगियों दत्ता बहिर और अर्जुन जाधव के खिलाफ जारी किया गया था।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला पुणे के एक ड्रामा प्रोड्यूसर धनंजय घोरपड़े द्वारा दायर किया गया है। घोरपड़े का दावा है कि 2013 में जरांगे पाटिल और अन्य आरोपियों ने जालना में अपने मंच नाटक “शंभुराजे” के कई शो आयोजित करने के लिए उन्हें काम पर रखा था। कम से कम पांच शो आयोजित किए गए और एक अन्य शो के लिए रिहर्सल भी की गई, लेकिन बाद में आरोपी कथित रूप से पीछे हट गए। करार के मुताबिक 30 लाख रुपये का भुगतान किया जाना था, जो नहीं किया गया। जब उनकी दलीलों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो घोरपड़े ने अदालत में शिकायत दर्ज कराई और कम से कम 4 समन जारी किए गए, जिन्हें जरांगे पाटिल ने नजरअंदाज कर दिया।
जरांगे पाटिल का आरोप
गिरफ्तारी वारंट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जरांगे पाटिल ने आरोप लगाया कि यह सरकार द्वारा उन्हें सलाखों के पीछे डालने और जेल में ही मार डालने की साजिश है। उन्होंने कहा कि यह वारंट मराठा आंदोलन को कमजोर करने की एक कोशिश है। जरांगे पाटिल ने अपने समर्थकों से आह्वान किया कि यदि उन्हें जेल भेजा जाता है, तो वे आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्षी पार्टी के उम्मीदवारों को हराने के लिए हरसंभव प्रयास करें।
मराठा आंदोलन और जरांगे पाटिल की भूमिका
मनोज जरांगे पाटिल मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख नेता हैं। वे शिवबा संगठन के अध्यक्ष हैं और मराठा समुदाय के हक की लड़ाई में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर अनिश्चितकालीन अनशन किया था, जिसे उन्होंने अपने समुदाय के सदस्यों के कहने पर स्थगित कर दिया। जरांगे पाटिल ने कहा कि उनके समुदाय के लोग चाहते हैं कि वह जीवित रहें और इस लड़ाई को जारी रखें।
सरकार की प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जरांगे पाटिल के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार का उनके मामले से कोई लेना-देना नहीं है। भाजपा के एक अन्य नेता प्रवीण दारकेकर ने कहा कि मराठा नेता प्रचार और सहानुभूति पाने के लिए जेल जाना चाहते हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि कानून के तहत जो भी कार्रवाई हो रही है, वह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है और इसमें सरकार की कोई साजिश नहीं है।
न्यायालय का रुख
जरांगे पाटिल के वकील हर्षद निंबालकर ने अदालत से वारंट जारी न करने का आग्रह किया है, क्योंकि जरांगे पाटिल मराठा आंदोलन में व्यस्त हैं और 20 जुलाई से भूख हड़ताल पर हैं। उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया है कि 2 अगस्त को अगली सुनवाई के लिए जरांगे पाटिल उपस्थित होंगे। अदालत ने इस आश्वासन के बावजूद गैर-जमानती वारंट जारी किया है, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।
मनोज जरांगे पाटिल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट और उनके आरोपों ने मराठा आरक्षण आंदोलन को एक नई दिशा दी है। जरांगे पाटिल का दावा है कि यह वारंट सरकार की साजिश है, जबकि सरकार ने इसे न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा बताया है। मराठा समुदाय के लिए यह समय कठिनाइयों से भरा है और इस मुद्दे का समाधान न्यायालय में ही होगा। भविष्य में इस मामले में क्या मोड़ आता है, यह देखना दिलचस्प होगा।