मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग वर्षों से जारी है। इस संघर्ष के हिस्से के रूप में, शिवबा संगठन के प्रमुख मनोज जरांगे पाटिल ने 8 जून से अपने पैतृक गांव अंतरावली सरती में भूख हड़ताल शुरू की। यह उनका पाँचवां अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल आंदोलन है, जो राज्य में राजनीतिक और सामाजिक चेतना को पुनः जाग्रत कर रहा है।
मनोज जरांगे पाटिल की तबीयत
भूख हड़ताल के चौथे दिन, मनोज जरांगे पाटिल की तबीयत तेजी से बिगड़ गई। एक सरकारी अस्पताल की मेडिकल टीम द्वारा जांच के दौरान पाया गया कि वह कमजोरी, लो ब्लड प्रेशर, कम वजन और अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं। डॉक्टरों ने उन्हें तुरंत इलाज कराने की सलाह दी, लेकिन जरांगे पाटिल ने दवाएं लेने और इलाज कराने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक मराठा आरक्षण पर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती, तब तक वह अपनी भूख हड़ताल जारी रखेंगे।
जरांगे पाटिल की स्थिति पर प्रतिक्रिया
मंगलवार को मेडिकल टीम द्वारा की गई जांच के बाद, डॉक्टरों ने कहा कि जरांगे पाटिल को तुरंत इलाज की जरूरत है। लेकिन जरांगे पाटिल का कहना है कि उनका अनशन जारी रहेगा। उनका मानना है कि आंदोलन को कमजोर करने के लिए कुछ लोग मराठों से बातें कर रहे हैं, लेकिन यह रणनीति असफल रहेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार को लंबित मांगों का तत्काल समाधान निकालना चाहिए।
राज्य मंत्री छगन भुजबल का बयान
इस मुद्दे पर राज्य मंत्री छगन भुजबल ने सोमवार को एक बयान दिया कि महायुति के लिए लोकसभा चुनाव पर 2023-2024 के मराठा आंदोलन का कोई असर नहीं पड़ा है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जरांगे पाटिल ने कहा, “थोड़ा और इंतजार कीजिए और आपको पता चल जाएगा।” इससे स्पष्ट है कि जरांगे पाटिल सरकार के रवैये से असंतुष्ट हैं और अपनी मांगों के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
आंदोलन की व्यापकता और प्रभाव
जरांगे पाटिल ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार अपने वादों को पूरा करने में विफल रहती है, तो वह अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे। यह एक बड़ा राजनीतिक कदम हो सकता है, जो राज्य की राजनीति में एक नए मोड़ को जन्म दे सकता है।
चिकित्सा आवश्यकताओं की अनदेखी
मनोज जरांगे पाटिल की चिकित्सा स्थिति गंभीर है, लेकिन उन्होंने इलाज से इनकार कर दिया है। डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें तुरंत चिकित्सा देखभाल की जरूरत है, लेकिन उनका संकल्प मजबूत है। यह एक बड़ी चिंता का विषय है कि यदि उनकी स्थिति और बिगड़ती है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
समाज और राजनीति पर प्रभाव
मनोज जरांगे पाटिल का भूख हड़ताल न केवल मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को फिर से जीवंत कर रहा है, बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक जागरूकता भी बढ़ा रहा है। उनके आंदोलन ने समाज के विभिन्न वर्गों का ध्यान आकर्षित किया है और सरकार पर दबाव बढ़ा है कि वह इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करे।
मनोज जरांगे पाटिल का भूख हड़ताल आंदोलन मराठा आरक्षण की मांग को एक नई दिशा दे रहा है। उनकी तबीयत बिगड़ने के बावजूद, उनकी दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता सराहनीय है। सरकार के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है कि वह इस मुद्दे पर सकारात्मक कदम उठाए और मराठा समुदाय की मांगों को पूरा करे। जरांगे पाटिल के इस आंदोलन ने साबित कर दिया है कि जब तक सही नेतृत्व और दृढ़ संकल्प होता है, तब तक कोई भी आंदोलन सफल हो सकता है। अब यह सरकार पर निर्भर है कि वह इस चुनौती का सामना कैसे करती है और मराठा समुदाय की मांगों को कैसे पूरा करती है।