महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन ने अब काबू से बाहर होने लगा है, जिसके चलते बीड जिले में प्रदर्शनकारियों ने पूर्व मंत्री के दफ्तर समेत कई जगहों पर आगजनी की। यह समाचार दरअसल मराठा आरक्षण के मुद्दे पर हो रहे प्रदर्शनों की ताजगी को दर्शाता है, जो सोमवार को हिंसक रूप लेने लगे हैं।
आंदोलनकारियों ने सोमवार को बीड में NCP विधायक प्रकाश सोलंके के आवास में और बीड में ही एनसीपी के एक दफ्तर को भी आग लगा दी। पूर्व मंत्री रहे जयदत्तजी क्षीरसागर के ऑफिस में भी आग लगा दी गई है। आंदोलनकारियों ने गंगापुर में बीजेपी विधायक प्रशांत बांब के दफ्तर को भी तहस-नहस कर दिया है।
इसके साथ ही, जिले में हालात को देखते हुए धारा 144 लागू की गई है ताकि और हिंसा न बढ़े। मराठा आंदोलन के समर्थन में उधर एकनाथ शिवसेना गुट के दो सांसदों ने भी इस्तीफा दिया है। नासिक से सांसद हेमंत गोडसे ने सीएम शिंदे को अपना इस्तीफा भेजा और हिंगोली से एमपी हेमंत पाटिल ने दिल्ली में लोक सभा सचिवालय को इस्तीफा सौंपा।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, मराठा आरक्षण आंदोलन में शामिल मनोज जारांगे पाटिल ने अपनी स्वास्थ्य जांच करवाने से इनकार किया है। जारांगे महाराष्ट्र के जालना जिले में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हुए हैं, और उनके इस फैसले पर जिला स्वास्थ्य विभाग ने चिंता जताई है।
विपक्षी दलों के महाविकास अघाडी (MVA) गठबंधन ने भी मौका देखकर सक्रिय हो गया है और एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात कर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण, नाना पटोले, और अभिजीत वंजारी समेत कई नेता शामिल रहे हैं।
जिले में बिगड़ते हालात के बीच, राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने के मुद्दे पर बनी कमेटी की पहली रिपोर्ट उन्हें मिल गई है और इसे मंगलवार को कैबिनेट में पेश किया जाएगा। यह रिपोर्ट एक लाख से अधिक मराठों को आरक्षण के लिए पात्र माना गया है, और उन्हें रिजर्वेशन देने पर विचार किया जा सकता है।
इस पूरे संघर्ष में, हमें यह सोचने पर मजबूती हो रही है कि क्या इस आंदोलन के बाद सरकार और समुदाय के बीच समझौते का रास्ता मिलेगा या नहीं।