जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती का गुस्सा एक बार फिर से सार्वजनिक हुआ है। महबूबा मुफ्ती को मजार-ए-शुहादा में जाने की इजाजत नहीं मिली, जिससे वह नाराज हैं और उन्होंने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाया है। उन्होंने एक लंबा-चौड़ा ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने अपने विचार और भावनाओं को व्यक्त किया है।
दरवाजे पर लगाया ताला
महबूबा मुफ्ती ने अपने ट्वीट में कहा कि उन्हें मजार-ए-शुहादा में जाने से रोक दिया गया और उनके घर के दरवाजे पर बड़ा सा ताला लगा दिया गया है। उन्होंने बंद दरवाजे की तस्वीर भी साझा की है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि शुहादा सत्तावाद, उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ कश्मीर का विरोध दिखाता है। उन्होंने कश्मीरियों की भावना को इस तरह कुचलने को गलत बताया और कहा कि हमारे शहीदों का बलिदान इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
हमारा सबकुछ छिन गया- महबूबा मुफ्ती

महबूबा मुफ्ती ने आगे लिखा कि 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर को खंडित कर दिया गया और राज्य की सारी शक्तियां छीन ली गईं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए जो भी चीजें पवित्र थीं, वे सब छिन गईं। वे हमारी यादों को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम अन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि यह दिन कश्मीरियों के लिए बहुत खास है और इसे हमें मनाने से रोका जा रहा है।
13 जुलाई को कश्मीर में होती थी छुट्टी
महबूबा मुफ्ती मजार-ए-शुहादा में शामिल होना चाहती थीं। अनुच्छेद 370 हटने से पहले हर साल 13 जुलाई को कश्मीर में अवकाश का ऐलान किया जाता था। यह दिन कश्मीरियों के लिए बेहद खास है। 2019 से पहले इस दिन कश्मीर में कई रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था और इन कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री समेत राज्यपाल भी हिस्सा लेते थे। मगर अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह अवकाश भी बंद हो चुका है।
मजार-ए-शुहादा का महत्व

मजार-ए-शुहादा का कश्मीर के इतिहास में काफी महत्व है। स्थानीय कहावतों के अनुसार, 13 जुलाई 1931 को कश्मीर की डोगरा सेना ने राजा हरि सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था। राजा हरि सिंह के निरंकुश शासन से परेशान लोगों ने विरोध किया। मगर इस दौरान गोलीबारी में 22 कश्मीरियों की जान चली गई थी। मजार-ए-शुहादा में इन्हीं कश्मीरियों की कब्रें मौजूद हैं। हर साल 13 जुलाई को लोग यहां कश्मीरियों को शहीद सैनिक के रूप में श्रद्धांजलि अर्पित करने आते हैं।
महबूबा मुफ्ती की नाराजगी

महबूबा मुफ्ती ने अपने ट्वीट में कहा कि उन्हें मजार-ए-शुहादा में जाने से रोकने का कारण यह है कि सत्ताधारी लोग कश्मीरियों की आवाज को दबाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उनके घर पर ताला लगाना और उन्हें नजरबंद करना कश्मीरियों की भावना को कुचलने का एक प्रयास है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह अन्यायपूर्ण है और उन्हें इस बात का विरोध करना होगा।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार की ओर से इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, पुलिस और प्रशासन का कहना है कि सुरक्षा कारणों से महबूबा मुफ्ती को मजार-ए-शुहादा में जाने से रोका गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति नाजुक है और किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।
महबूबा मुफ्ती के मजार-ए-शुहादा में जाने से रोके जाने और उनके घर पर ताला लगाने की घटना ने कश्मीर के राजनीतिक माहौल में एक नई बहस को जन्म दिया है। महबूबा मुफ्ती ने अपनी नाराजगी और भावनाओं को सोशल मीडिया पर व्यक्त किया है और सरकार पर कश्मीरियों की आवाज को दबाने का आरोप लगाया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मामले में क्या प्रतिक्रिया देती है और आगे क्या कदम उठाती है। कश्मीर के लोगों के लिए यह घटना एक और याद दिलाती है कि उनके संघर्ष और बलिदान को याद रखा जाना चाहिए और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार लड़ाई जारी रहनी चाहिए।