मोदी सरकार के ‘मिशन कश्मीर’ पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला महत्वपूर्ण है. इसमें यह निर्णय लिया गया है कि आर्टिकल 370 को समाप्त करने का फैसला सही था. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यह अस्थायी था और जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन चुका था. इसके साथ ही, कोर्ट ने यह निर्देश दिया है कि जम्मू-कश्मीर को पुनर्स्थापित किया जाए और वहां चुनाव जल्दी कराए जाएं.

सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 को हटाने के फैसले को ऐतिहासिक माना है और इससे मोदी सरकार के ‘मिशन कश्मीर’ पर मुहर लग गई है. केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए, कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का अब भारत का अभिन्न अंग है और उसकी संप्रभुता भारत में सरेंडर कर दी गई है.
चीफ जस्टिस ने बताया कि आर्टिकल 370 अस्थायी था और राष्ट्रपति को इसे रद्द करने का संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का संवैधानिक अधिकार है और इसे बरकरार रखने पर सवाल नहीं उठा जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा पुनः स्थापित करने का निर्देश दिया और आगामी 30 सितंबर 2024 तक वहां चुनाव कराए जाने का आदान-प्रदान किया. यह फैसला दिखाता है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ एकमत होकर आर्टिकल 370 को हटाने के फैसले को समर्थन दिया है.
चीफ जस्टिस के अलावा, न्यायमूर्ति एस के कौल ने भी बताया कि आर्टिकल 370 एक अस्थायी प्रावधान था और उसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ समान बनाना था. उन्होंने सरकार को, सरकार के इतर तत्वों को मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच के लिए आयोग बनाने का निर्देश दिया.

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दरअसल एक ऐतिहासिक पल की मुहर है जिससे मोदी सरकार के कश्मीर नीति को लेकर और भी स्पष्टता मिलती है. यह निर्णय दिखाता है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के साथ एकमत रूप से आर्टिकल 370 को हटाने के फैसले को वैध माना है वहां के राज्य का दर्जा जल्दी से बहाल किया जाए. इस फैसले से एक सकारात्मक संदेश दिखाई देता है कि देश में न्यायप्रणाली सुधारने और समरसता की भावना को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
चीफ जस्टिस ने भी बताया कि जब जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो गया, तो उस विशेष स्थिति के लिए अनुच्छेद 370 लागू किया गया था, और इसका भी अस्तित्व समाप्त हो गया.

जम्मू-कश्मीर में युद्ध की स्थिति के कारण संविधान का आर्टिकल 370 अंतरिम व्यवस्था थी. जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा को स्थायी निकाय बनाने का मंशा कभी नहीं था. संविधान का अनुच्छेद 370 अस्थायी था, राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने की शक्ति अभी भी है. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व खत्म होने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी रहती है. 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जाएं. जम्मू-कश्मीर के पुर्न राज्य का दर्जा जल्द बहाल हो. हम तत्कालीन राज्य जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग कर उसे केंद्रशासित प्रदेश बनाने के फैसले की वैधता को बरकरार रखते हैं.
जस्टिस संजय किशन कौल ने क्या कहा

CJI से सहमति जताते हुए न्यायमूर्ति एस के कौल ने फैसले में कहा कि अनुच्छेद 370 का लक्ष्य जम्मू कश्मीर को धीरे-धीरे अन्य भारतीय राज्यों के बराबर में लाना था.
न्यायमूर्ति कौल ने सरकार, सरकार से इतर तत्वों द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन मामलो की जांच के लिए आयोग बनाने का निर्देश दिया.सभी 5 जजों ने एक मत से फैसला दिया है, हां फैसले 3 लिखे गए हैं. इससे साफ होता है कि 5 अगस्त 2019 का केंद्र सरकार का फैसला बरकरार रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रशासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के पुनर्गठन को भी बरकरार रखा। इस रूप में, सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के ‘मिशन कश्मीर’ पर मुहर लगा दी है और देश में सामंजस्य और एकीकृतता की भावना को बढ़ावा दिया है.